अखिलेश यादव बोले- अहंकारी भाजपा याद रखे यहां 'प्रधान' शब्द तक 'कृषि' के बाद आता है...

अवनीश कुमार
रविवार, 13 दिसंबर 2020 (22:11 IST)
लखनऊ। किसानों के समर्थन में सड़क पर उतर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन के साथ-साथ केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए किसान विरोधी कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार बीजेपी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि देश का किसान आंदोलित है। भारत सरकार उनके मन की बात सुनने की बजाय उन पर अपनी बात थोपने में लगी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत का रोडरोलर चलाकर अन्नदाता समुदाय की आवाज को कुचलने का कोई भी प्रयास उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

किसान अपने हित अनहित को समझकर अगर सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ राय दे रहा है तो उसकी मांगें माने जाने में क्या दिक्कत हो सकती है? यह तो सभी मानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। अहंकारी भाजपा याद रखे यहां 'प्रधान' शब्द तक 'कृषि' के बाद आता है।
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सत्ताधारी न भूलें कि हमारे देश में किसान ही प्रथम है और प्राथमिक भी। किसान अपना हक मांग रहे है, वे दृढ़ निश्चयी हैं कि वे इसे लेकर रहेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी समितियों के अस्तित्व को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मतभेद है। सरकार से किसान तीनों कृषि विधयेक वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कानून की वापसी का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले के भी ऐसे उदाहरण हैं। अतः भाजपा नेतृत्व की इस संबंध में हठधर्मी समझ में नहीं आती है।

अगर इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया जा रहा है तो यही कहा जा सकता है कि भाजपा का रवैया किसान विरोधी है। उसकी नीयत किसानों की भलाई करने की नहीं, पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की है। भाजपा लोगों को बहकाने और छलने में पारंगत है। किसानों को इसीलिए आतंकवादी, नक्सलवादी भी बताया जा रहा है।
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सचाई यह है कि किसान एकजुट हैं। उनका आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें किसान परिवारों के बूढ़े-बच्चे-महिलाएं तक शामिल हैं, जो इस ठंड के मौसम में आज 18वें दिन भी आंदोलनरत हैं। समाजवादी पार्टी किसानों की मांगों का समर्थन करती है। उसकी सहानुभूति किसानों के साथ है। समाजवादी पार्टी की 7 दिसंबर 2020 से किसान यात्राएं चल रही है और 14 दिसंबर 2020 को वह किसानों के समर्थन में धरना भी देगी।

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