हिन्दी दिवस पर कविता : हिन्दुस्तान के मस्तक की बिंदी...

Webdunia
-संजय जोशी 'सजग'
 
भाषा जब सहज बहती,
संस्कृति, प्रकृति संग चलती।
 
भाषा-सभ्यता की संपदा,
सरल रहती अभिव्यक्ति सर्वदा।
 
कम्प्यूटर के युग के दौर में,
थोपी जा रही अंग्रेजी शोर में।
 
आधुनिकता की कहते इसे जान,
छीन रहे हैं हिन्दी का रोज मान।
 
हम सब मिलकर दें सम्मान,
निज भाषा पर करें अभिमान।
 
हिन्दुस्तान के मस्तक की बिंदी
जन-जन की आत्मा बने हिन्दी।
 
हिन्दी के प्रति होंगे हम 'सजग'
राष्ट्रभाषा को मानेगा सारा जग।

देखें वीडियो

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 3 कारणों से मुंह में उंगली डालता है बच्चा, भूख के अलावा और भी हो सकते हैं कारण

स्ट्रेस फ्री रहने के लिए बस ये काम करना है ज़रूरी

क्या आप भी सलाद में खीरा और टमाटर एक साथ खाते हैं? जानिए ऐसा करना सही है या गलत?

एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के लिए बच्चों को जरूर सिखाएं ये बातें

जन्म के बाद गोरे बच्चे का रंग क्यों दिखने लगता है काला?

सभी देखें

नवीनतम

शादी के बाद नई दुल्हन की ठुकराई थाली खाते हैं पति , जानिए थारू दुल्हन की पहली रसोई का अनोखा रिवाज

बाजार में मिलाने वाले ज्यादातर फूड प्रोडक्ट्स में होता है पाम ऑयल का इस्तेमाल, जानिए कैसे है सेहत के लिए हानिकारक

जलेसं के मासिक रचना पाठ में शब्दों में जीवन पर परिचर्चा

क्या IVF ट्रीटमेंट के दौरान हो सकती है मुंहासों की प्रॉब्लम? जानें क्यों IVF की वजह से पिम्पल्स की होती है समस्या

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

अगला लेख