फ़िल्म, किताब से लेकर निजी जिंदगी तक कबीर बेदी ने खुलकर खोले ज़िंदगी जीने के राज

नवीन रांगियाल
शनिवार, 27 नवंबर 2021 (14:13 IST)
Actor Kabir Bedi
Indore literature festival seconds day 202: 'इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल सीजन- 7 के दूसरे दिन वे 'कहानियां जो मुझे सुनाना होगी' सत्र के दौरान ख्यात अभिनेता कबीर बेदी ने इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में विभा सेठी और ममता बाकलीवाल से चर्चा की।
 
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- ख्यात अभिनेता कबीर बेदी ने इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में विभा सेठी और ममता बाकलीवाल से चर्चा की। 
 
- वे 'कहानियां जो मुझे सुनाना होगी' सत्र के दौरान बात कर रहे थे।
 
- इस दौरान उन्होंने बॉलीवुड से लेकर अपने परिवार, अपनी बेटियों के बारे में खुलकर बात की। 
 
- कबीर बेदी ने अपनी किताब Story I must tell पर खुलकर की बात। किताब में अपनी फ़िल्म और निजी जिंदगी के बारे में खोले हैं राज।
 
अपने लेखन के बारे में बात करते हुए कहा कि वे लगातार लिख रहे हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि वे लिखने की प्रक्रिया को एन्जॉय करते हैं। जब भी वक्त मिलता है, वे लिखना पसंद करते हैं। 
 
अपने माता पिता के बारे में कबीर बताते हैं कि मेरे पिता कहीं और रहते थे, माँ किसी दूसरे स्थान पर रहती थीं। लेकिन उनके बीच जो रिश्ता था, जो बॉन्डिंग थी, वो कमाल की थी। वही बॉन्डिंग मेरे और मेरी बेटियों के भीतर है। 
पूजा बहुत वंडरफुल लडक़ी है, वो पब्लिक स्टार है। मुझे अलया पर बहुत गर्व है। उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई है। 
 
फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के बारे में कबीर बेदी कहते हैं कि उन्हें अपने नेगेटिव रोल के लिए खामियाजा भी भुगतना पड़ा। जब वे एक फ़िल्म में रेखा जैसी खूबसूरत एक्ट्रेस को मगरमच्छ के आगे फेंक देते हैं, तो उस जमाने में ऐसे बहुत से रेखा के फैन थे, जो मुझसे डरने और नफरत करने लगे थे। 
 
एक्टिंग के किसी जमाने में पैसा नहीं मिलता था, लेकिन आज बहुत पैसा है, लेकिन उसके बदले एक अभिनेता को ज़्यादा कमिटेड होना पड़ता है। उसके पास कई तरह की स्किल होना चाहिए। आज बहुत अच्छे अवसर हैं, इंडस्ट्री बदल चुकी है। ओटीटी पर अवसर है, नए लोगों के पास बहुत अवसर है। तकनीक ने बहुत सुविधाजनक बना दिया है। 
 
कबीर बेदी ने कई निजी और व्यावसायिक सवालों कर जवाब दिए। अपने स्वास्थ्य और फिट रहने के बारे में वे कहते हैं कि मैं डाइट फॉलो करता हूँ। व्यायाम करता हूँ। इंदौर शहर के बारे में कहते हैं कि मुझे बुक लवर के फेस्टिवल अच्छे लगते हैं। किताबों के बारे में बात करने वाले लोग अच्छे लगते हैं। इसलिए मैंने भी किताब लिख डाली है। इंदौर का पहला रिएक्शन तो बहुत अच्छा है। 
 
कबीर बेदी ने अपनी किताब के बारे में चर्चा की। उन्होंने उसके लिखने के पीछे के इरादे और उसके अर्थ के बारे में लोगों को बताया। 
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अंत में उन्होंने एक संदेश देते हुए कहा कि खुद में भरोसा रखें, और वही करे जिसमे आपको भरोसा है। इसलिये जिंदगी में उस चीज़ की खोज करे जिसमे आपको भरोसा हो। मेरी माँ भी वही करती थी जो उसे बहुत पसंद था। वही बात मुझ में भी वही बात ट्रांसफर हुई। जो भ करे उसमें भरोसा रखे और कभी गिव अप न करे, यही ज़िंदगी का राज है।

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