हिन्दी कविता : कैसा यह हो रहा चुनाव!

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
जाने कितने उभर रहे तनाव।
जातिवाद से सब रंजित फिजाएं, धूप-छांव।
टकराव के विषाणु फैल रहे हर, शहर, बस्ती, गांव।
...कैसा हो रहा है यह चुनाव।।1।।
 
राजनीति के माफियाओं को पड़ता नहीं फर्क।
युगीन मर्यादाएं शनै:-शनै: हो रही ग़र्क।
शालीन गुजरात बन रहा संबंधों का नर्क।
राष्ट्रीयता का उलटी दिशा में हो रहा बहाव।
...कैसा हो रहा यह चुनाव।।2।।
 
विकास के पैमाने पर जो राज्य रहा अव्वल।
परंपरागत सूखी साबरमती में नई सोच का जल निर्मल।।
शालीनता न कभी हुई शिथिल, न मर्यादाएं घायल।।
वहीं दिख रहे हैं अब बेशर्म खींचतान, बेबनाव।
...कैसा हो रहा है यह चुनाव।।3।।
 
ओ ढीठ राजनीतिज्ञों, तुम्हारा यह हठवादी खेल।
रहा है प्रजातंत्र को गलत दिशा में धकेल।
युग लगेंगे धोने में, गर भर गया मनों में मैल।।
पीढ़ियां बिगाड़ देंगे तुम्हारे ये क्षुद्र दांव।
...कैसा हो रहा है यह चुनाव।।4।।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पापा सिर्फ शब्द नहीं, पूरी जिंदगी का सहारा हैं...फादर्स डे पर इमोशनल स्पीच

वॉकिंग या जॉगिंग करते समय ना करें ये 8 गलतियां, बन सकती हैं आपकी हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन

मानसून में हार्ट पेशेंट्स की हेल्थ के लिए ये फूड्स हैं बेहद फायदेमंद, डाइट में तुरंत करें शामिल

फादर्स डे पर पापा को स्पेशल फील कराएं इन खूबसूरत विशेज, कोट्स और व्हाट्सएप मैसेज के साथ

क्या आपको भी ट्रैवल के दौरान होती है एंग्जायटी? अपनाएं ये टॉप टिप्स और दूर करें अपना हॉलिडे स्ट्रेस

सभी देखें

नवीनतम

याददाश्त बढ़ाने के लिए आज से ही छोड़ दें अपनी ये 8 आदतें, दिमाग पर डालती हैं बुरा असर

मन सच्चा, कर्म अच्छा और बाकी सब महादेव की इच्छा... पढ़ें शिव जी पर लेटेस्ट कोट्स

हादसों पर 10 मशहूर शेर

स्किन के लिए जादुई है ग्रीन टी की पत्तियां, जानिए इससे बनने वाले ये 3 खास फेस पैक्स के बारे में

फादर्स डे 2025: पिता कब हो जाते हैं दुखी, जानिए 5 खास कारण

अगला लेख