गीत : हम कलमकार हैं नया सवेरा लाएंगे...

राकेश श्रीवास्तव 'नाजुक'
चोर कहे कि साधु लिख दो,
कहे नालायक, लायक लिख दो।
 
हजम किया जो जनता का धन,
कहता नेक विधायक लिख दो।
 
भ्रम में न रहना कि हम बिक जाएंगे,
हम कलमकार हैं नया सवेरा लाएंगे।
 
हम होली-रमजान लिखेंगे,
सियाराम के गीत लिखेंगे।
 
कान्हा की बंसी से निकली,
राधाजी की प्रीत लिखेंगे।
 
देश की बात अगर आ जाए,
भगतसिंह की जीत लिखेंगे।
 
मौत भी आ जाए तो उसको,
अपना प्यारा मीत लिखेंगे।
 
कतरा-कतरा कटके भी मुस्काएंगे,
हम कलमकार हैं नया सवेरा लाएंगे।
 
*****
 
बापू के भारत दर्शन को,
जाने किसने तोड़ दिया है।
 
मन का साफ सुनहरा दर्पण,
जाने किसने फोड़ दिया है।
 
नई फसल का प्यारा सपना,
किसने उल्टा मोड़ दिया है।
 
देश के बिगड़े हालातों ने,
'नाजुक' को झकझोर दिया है।
 
कठिन राह है, पर हम चलते जाएंगे।
हम कलमकार हैं नया सवेरा लाएंगे।
 
*****
 
हम मां का आंचल लिक्खेंगे,
कल-कल बहती गंगा लिक्खेंगे।
 
भ्रष्टाचारी कोई भी हो,
हम उसको नंगा लिक्खेंगे।
 
वंदे मातरम् की ध्वनि से,
हर दिल पे तिरंगा लिक्खेंगे।
 
देश का पैसा ले भागा,
उसको भिखमंगा लिक्खेंगे।
 
भ्रम तोड़ो कि हम तुमसे डर जाएंगे,
हम कलमकार हैं नया सवेरा लाएंगे।

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