होली गीत : रंगों से रंगी दुनिया...

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
मैंने देखी ही नहीं 
रंगों से रंगी दुनिया को 
मेरी आंखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को।
 
*
कौन आएगा, आंखों में समाएगा
रंगों के रूप को जब दिखाएगा 
रंगों पे इठलाने वालों
डगर मुझे दिखाओ जरा
चल सकूं मैं भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलाओ जरा 
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं...।
 
*
याद आएगा दिलों में समाएगा 
मन के मित को पास पाएगा
आंखों से देखने वालों 
नयन मुझे दिलाओ जरा 
देख सकूं मैं भी भेदकर 
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं...।
 
*
जान जाएगा वो दिन आएगा
आंखों से बोल के कोई समझाएगा
रंगों को खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलाओ जरा
देख सकूं में भी खुशियों को
आंखों में रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं...।

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