हिंदी कविता : शिव संवाद

गरिमा मिश्र तोष
शिव संवाद
 
कर्म की व्याख्या क्या करूं
जो करवाते हो 
वह कर्म तुम्हीं को समर्पित 
मेरे कर्म यदि मेरे नहीं 
तो फल भी नहीं मेरे
मेरे धर्म तुम्हारे 
तुम्हीं हो धर्मप्रवर्तक मेरे...
 
मेरे महत्तर स्वार्थ के लिए
जो तुम्हारे आदेश शिरोधार्य
मैं तो मर्त्य की नारी हूं
मोह मद लोभ काम को जीत भी लूं
तो जीत के बोध को 
कैसे जीतूं ,वह शक्ति भी
तो तुम दोगे और मैं 
नारी से देवी बनने की चाह छोड़
केवल अपना कर्म कर जाऊं
मेरे कर्म तुम्हारे 
तुम्हीं हो कर्मप्रवर्तक मेरे....
 
मेरे शैशव की स्मृति तुम
तरुणाई के अनुगान् भी तुम
प्रेम जो अनुभूत सत्य था
तुम्हारे ही साथ से 
 
अज्ञान सलिल की बूंदें
बन झर जाऊंगी चरणों में तुम्हारे 
मेरे अपूर्ण प्रयास की पूर्णता
को सार्थकता देते परम सत्य तुम
मैं अल्पज्ञ नेह चंद्रिका 
तुम सहस्त्र सूर्य प्रखर मेरे....

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मैंगो फालूदा आइसक्रीम रेसिपी: घर पर बनाएं स्वादिष्ट आम फालूदा

युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?

4:3 डाइट: हफ्ते में सिर्फ 3 दिन डाइटिंग करके घटाएं वजन, जानिए कैसे करता है ये वेट लॉस प्लान कमाल

गर्मियों में घर पर बनाएं ठंडी और कूल वाटरमेलन आइसक्रीम, जानिए आसान रेसिपी

खीरे के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मिलेगा बेदाग निखार, हर कोई करेगा तारीफ

सभी देखें

नवीनतम

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

बच्चों की मनोरंजक कविता: ऊधम का घोड़ा

कच्चा या बॉयल्ड बीटरूट, आपकी सेहत के लिए कौन सा है ज्यादा सेहतमंद?

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

अगला लेख