सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 2 कविताएं

Webdunia
1. स्नेह निर्झर बह गया है
 
स्नेह निर्झर बह गया है
रेत ज्यों तन रह गया है
 
आम की यह डाल जो सूखी दिखी
कह रही है- 'अब यहां पिक या शिखी
नहीं आते
पंक्ति मैं वह हूं लिखी
नहीं जिसका अर्थ-'
जीवन ढह गया है।
 
दिए हैं मैंने जगत को फूल फल
किया है अपनी प्रभा से चकित चल
पर अनश्वर था सकल पल्लवित पल
ठाठ जीवन का वही
जो ढह गया है।
 
अब नहीं आती पुलिन पर प्रियतमा
श्याम तृण पर बैठने को निरूपमा
बह रही है हृदय पर केवल अमा
मैं अलक्षित हूं यही।
कवि कह गया है।
 
*****
 
2. वह तोड़ती पत्थर
 
वह तोड़ती पत्थर
देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर।
नहीं छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार,
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत नयन, प्रिय कर्म रत मन,
गुरू हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार-
सामने तरुमालिका अट्टालिका, प्राकार।
चढ़ रही थी धूप,
गर्मियों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप,
उठी झुलसाती हुई लू,
रुई ज्यों जलती हुई भू
गर्द चिंदी छा गई
प्रायः हुई दोपहर-
वह तोड़ती पत्थर।
देखते देखा, मुझे तो एक बार
उस भवन की ओर देखा, छिन्न तार,
देखकर कोई नहीं,
देखा मुझे उस दृष्टि से,
जो मार खा रोई नहीं,
सजा सहम सितार,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार।
एक छन के बाद वह कांपी सुघड़
ढुलक माथे से गिरे सीकर
लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा-
'मैं तोड़ती पत्थर।'

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पापा सिर्फ शब्द नहीं, पूरी जिंदगी का सहारा हैं...फादर्स डे पर इमोशनल स्पीच

वॉकिंग या जॉगिंग करते समय ना करें ये 8 गलतियां, बन सकती हैं आपकी हेल्थ की सबसे बड़ी दुश्मन

मानसून में हार्ट पेशेंट्स की हेल्थ के लिए ये फूड्स हैं बेहद फायदेमंद, डाइट में तुरंत करें शामिल

फादर्स डे पर पापा को स्पेशल फील कराएं इन खूबसूरत विशेज, कोट्स और व्हाट्सएप मैसेज के साथ

क्या आपको भी ट्रैवल के दौरान होती है एंग्जायटी? अपनाएं ये टॉप टिप्स और दूर करें अपना हॉलिडे स्ट्रेस

सभी देखें

नवीनतम

सावधान! रोज की ये 5 आदतें डैमेज करती हैं आपका दिमाग

ऑफिस में थकान दूर करने वाले 8 हेल्दी स्नैक्स

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के 10 प्रेरणादायक विचार, जो जीवन को नई दिशा देते हैं

संबंधों का क्षरण: एक सामाजिक विमर्श

Heart touching पापा पर कविता हिंदी में

अगला लेख