हिन्दी कविता : सांप

श्रीमती गिरिजा अरोड़ा
सांप 
मैं डरती हूं तुमसे
तुम्हारे फुंफकारने से
तुम्हारे डंसने से
मैंने सुना है
तुम्हारी फुंफकार के बारे में
डंक के बारे में
देखा नहीं है
फिर भी बचती हूं
तुमसे 
या बचा लेती हूं
तुम्हें 
खुद से
सांप
मैं भी सीखना चाहती हूं ये फन
ताकि लोग डरे
मेरी भी फुंफकार से
डंक से
 
एक डर का अहसास
आसान कर देता है
कितने काम। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सेब के सिरके से केमिकल फ्री तरीके से करिए बालों की समस्या का समाधान

बच्चों के सिर में हो गई हैं जुएं तो ये घरेलू नुस्खे आजमाकर देखें, आसानी से मिलेगा छुटकारा

धूप से खो गया है हाथ-पैर का निखार, तो आजमाएं ये घरेलू नुस्खे

श्री कृष्ण को बहुत पसंद है ये हरी सब्जी, जानें इसके क्या है गुण

सेहत के लिए चमत्कार से कम नहीं जंगली रसगुल्ला! जानें 5 बेहतरीन फायदे

सभी देखें

नवीनतम

घर पर बना ये बॉडी पॉलिशिंग स्क्रब देगा कम खर्च में सेलून जैसा निखार

खिल जाएगी चेहरे की खूबसूरती, बस डाइट में शामिल करें ये आहार

यह लोकसभा अलग दिखने वाली है, मोदीजी! सब कुछ बदलना पड़ेगा!

सिखों के छठे गुरु, गुरु हर गोविंद सिंह, जानें उनके बारे में

जर्मनी के भारतवंशी रोमा-सिंती अल्पसंख्यकों की पीड़ा

अगला लेख
More