तीन तलाक पर कविता : तीन तलाक गुनाह है...

ज्योति जैन
*आखिरकार किसी ने समझी..
मेरे मन की बात...
कोई है जो समझ गया है..
नारी के जज़्बात...
 
*तीन तलाक की लटक रही थी...
मेरे सिर तलवार...
अब आई है हाथ में..
माझी के पतवार....
 
*बुर्के से शिकवा नहीं..
परम्परा है मेरी...
पारम्परिक प्रताड़ना के 
खिलाफ है रणभेरी....
 
*स्त्री हूं मैं, गर्व मुझे है..
नहीं ये कोई गुनाह है..
आज समझ लें सभी स्वयंभू..
तीन तलाक गुनाह है...
 
*सायरा,आफरीन, अतिया,इशरत..
और गुलशन की जीत....
डर नहीं प्रेम दे देते मुझको...
तो तुम ही जाते जीत...।।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख