वर्षा : एक शब्दचित्र

सुबोध श्रीवास्तव
गली के नुक्कड़ पे
बारिश की रिमझिम के बाद 
उस छोर से आती 
छोटी सी नदी में 
छपाक-छपाक करते 
अधनंगे बच्चे,
डगमगाकर आतीं 
कागज़ की छोटी-छोटी कश्तियां
पलभर को ताजा कर गईं
स्मृतियां
घर/बचपन की।
 
घर और बचपन
दोनों ही पर्यायवाची शब्द हैं
अस्थायित्व के
बचपन
हमेशा पास नहीं रहता
सरक जाता है घुटनों के बल
जाने कब?
 
और घर भी 
हमेशा 'घर' होने का एहसास
नहीं दिलाता 
हर किसी को।

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