कविता : आज का रावण

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
कलि‍युग है कलि‍युग 
आज का रावण 
एक नहीं हर जगह 
दिखाई देने लगे 
 
खूनी खेल, बलात्कार,
पाखंड, दबाव डालना 
आदि क्रियाएं 
प्राचीन रावण को भी पीछे 
छोड़ती दिखाई देने लगी 
 
आकाशवाणी मौन 
सब बने हों जैसे धृतराष्ट्र 
जवाब नहीं पता किसी को 
जैसे इंसान को सांप सूंघ गया 
 
आवाज उठाने की
हिम्मत हो गई हो परास्त 
शर्मो हया रास्ता भूल गई 
 
पहले के रावण का अंत 
नाभि में एक बाण मार कर किया 
आज के रावणों का अंत 
कानून के तरकश में न्याय के तीर ने 
कर डाला 
 
जो उनको मानते/चाहते अब वो ही 
उनसे मुंह छुपाने लगे 
कतारें लगी जेलों में
उनकी अशोभनीय हरकतों से  
 
आज के रावणों ने 
आस्था के साथ खिलवाड़ करके 
मासूमों का हरण करके 
कई चीखों को दफन कर दिया 
आज के इन रावणों ने 
 
पूरी दुनिया इनकी हरकतों को 
देख थू थू कर रही 
आवाज उठाने वालों और न्याय ने मिलकर 
किया शंखनाद 
उखाड़ दी इनकी जड़ 
 
गर्व है हिंदुस्तान के न्याय पर हमें 
और खुशी आज के रावणों के अंत की 
मगर चिंता अब न हो कोई 
आज के रावण जैसा पैदा 
हिंदुस्तान धरा पर

सम्बंधित जानकारी

मैंगो फालूदा आइसक्रीम रेसिपी: घर पर बनाएं स्वादिष्ट आम फालूदा

युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?

4:3 डाइट: हफ्ते में सिर्फ 3 दिन डाइटिंग करके घटाएं वजन, जानिए कैसे करता है ये वेट लॉस प्लान कमाल

गर्मियों में घर पर बनाएं ठंडी और कूल वाटरमेलन आइसक्रीम, जानिए आसान रेसिपी

खीरे के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मिलेगा बेदाग निखार, हर कोई करेगा तारीफ

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

बच्चों की मनोरंजक कविता: ऊधम का घोड़ा

कच्चा या बॉयल्ड बीटरूट, आपकी सेहत के लिए कौन सा है ज्यादा सेहतमंद?

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

अगला लेख