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Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह पर चढ़ाएं ये खास भोग, मिलेगा भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 (17:01 IST)
Bhog for Shaligram and Tulsi Ji: देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी और तुलसी विवाह का पर्व भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और तुलसी माता के पवित्र मिलन का प्रतीक है। देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है, और यह दिन भगवान शालीग्राम के आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर होता है।ALSO READ: Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

इस दिन को तुलसी के पत्तों, पंजिरी, खीर, फलाहार, और बूंदी जैसे खास भोग अर्पित करके आप भगवान की कृपा पा सकते हैं। इन भोगों से आपके घर में सुख-समृद्धि आएगी और भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
 
भगवान शालिग्राम और माता तुलसी को लगाए जाने वाले कुछ विशेष भोग इस प्रकार हैं:
 
1. तुलसी दल युक्त भोग: भगवान विष्णु/ शालीग्राम जी को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं और तुलसी के बिना वे कोई भी भोग स्वीकार नहीं करते। इसलिए भोग में तुलसी का पत्ता (तुलसी दल) डालना अनिवार्य माना गया है। यह भोग का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। 
 
2. पंचामृत: यह भोग में सबसे आवश्यक है। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) अर्पित करने से घर में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है और भगवान की विशेष कृपा मिलती है।
 
3. पारंपरिक मिष्ठान: आटे का हलवा इस दिन विशेष रूप से चढ़ाया जाने वाला शुभ भोग है। तुलसी दल डालकर चावल या साबूदाने की खीर भोगस्वरूप चढ़ाना अत्यंत खास मानी गई है। तुलसी दल सहित धनिया पंजीरी या आटे की पंजीरी से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और भगवान विष्णु को पीली वस्तुएं प्रिय हैं, इसलिए भोग में पीले रंग की मिठाई या केसर का प्रयोग शुभ माना जाता है। इस दिन घर में बनी पीली मिठाई जैसे बेसन के लड्डू या अन्य सात्विक मिठाई भी चढ़ाना पुण्यकारी होता है। 
 
4. मौसमी फल और सब्जियां: चूंकि इस दिन से चातुर्मास समाप्त होता है और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं, इसलिए भगवान को नए मौसमी फल और सब्जियों का भोग अवश्य लगाएं। विवाह का मंडप बनाने के लिए गन्ने का प्रयोग होता है और यह भोग में भी अर्पित किया जाता है। सिंघाड़ा (पानी फल), मूली, आंवला, बेर, अमरूद और केले अर्पित करने से शालीग्राम जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
 
5. अन्य सात्विक वस्तुएं: कच्चा दूध और मिश्री/बताशे का भोग।
 
नोट : भोग हमेशा सात्विक होना चाहिए, जिसमें प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल वर्जित है। भोग तैयार करते समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी 1 नवंबर को है या कि 2 नवंबर 2025 को है? सही डेट क्या है?

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