मोबाइल के इस्तेमाल को हाल ही में सामने आई डब्लूएचओ और डॉक्टरों की रिपोर्ट ने लोगों को हिला के रख दिया है। दरअसल, इंदौर में आयोजित हो रहे अंतरराष्ट्रीय मनोस्वास्थ्य एवं व्यसन सम्मेलन में विशेषज्ञों ने मोबाइल की लत को नया खतरा बताया है।
एक शोध की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 73 प्रतिशत लोग मोबाइल की लत के शिकार हैं, जिससे 80 प्रतिशत में 'साइलेंट डिप्रेशन' और नींद की समस्याएं बढ़ रही हैं। यानी धीरे धीरे मोबाइल फोन लोगों को भीतर से बीमार कर रहा है। दुखद बात यह है कि मोबाइल से मिलने वाली कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जो बेहद चुपचाच यानी साइलेंट तरीके से आ रही हैं।
बता दें कि मनोरोग और नशे की आदतों को लेकर दुनियाभर में सामने आ रही चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए इंदौर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ऐडिकॉन 2025 (ADDICON 2025) का शुभारंभ किया गया है। यह आयोजन इंदौर के प्राइड होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन महापौर पुष्यमित्र भार्गव, मंत्री महेंद्र हार्डिया, पद्मश्री जनक पलटा और डॉ. अतुल अम्बेकर (प्रोफेसर, एम्स नई दिल्ली) समेत अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मोबाइल समाज के लिए नया खतरा : उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, “नशा अब केवल पदार्थों तक सीमित नहीं रहा, मोबाइल और डिजिटल लत समाज के लिए एक नया खतरा बनकर उभरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलन न केवल समाज को जागरूक करते हैं बल्कि समाधान की दिशा भी दिखाते हैं। कार्यक्रम के आयोजक अध्यक्ष, इंदौर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक और नशा रोग विशेषज्ञ डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि इस वर्ष कॉन्फ्रेंस की थीम 'रणनीतियों, नीतियों और दृष्टिकोण के माध्यम से नशे की बढ़ती समस्या से निपटना' है।
बच्चों में बढ रही नशे की लत : इंडियन साइकाइट्रिक सोसाइटी (IPS) के तत्वावधान में हो रहे इस सम्मेलन में देश-विदेश के मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति-निर्माता भाग ले रहे हैं। पहले दिन के पहले सत्र में इंडियन साइकेस्ट्रिक सोसाइटी की पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. सबिता मल्होत्रा ने बच्चों और युवाओं में व्यसन पर अपने विचार रखे। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि बच्चे भी तमाम तरह के नशे की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
क्या कहता है शोध : कॉन्फ्रेंस में मध्य भारत के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. कौस्तुभ बागुल ने मोबाइल की लत पर अपना हालिया वैज्ञानिक शोध प्रस्तुत किया, जिसने खतरे की घंटी बजा दी है। डॉ. बागुल ने चेतावनी देते हुए कहा, "आपका स्मार्टफोन एक खामोश हत्यारे (साइलेंट किलर) की तरह आपकी नींद और मानसिक स्वास्थ्य को निगल रहा है। यह समस्या एक मानसिक महामारी बन सकती है।" लगभग 500 प्रतिभागियों पर किए गए इस अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
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73 प्रतिशत मोबाइल की लत के शिकार मिले।
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80 प्रतिशत लोगों में साइलेंट डिप्रेशन (छिपा हुआ अवसाद) के लक्षण मिले।
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इनमें नींद से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी पाई गईं।
49 प्रतिशत मानसिक रोगी तंबाकू के आदी: सम्मेलन में प्रस्तुत एक अन्य अध्ययन में डॉ. वर्चस्वी मुद्गल और उनकी टीम ने मानसिक रोगियों में तंबाकू की लत पर शोध के नतीजे साझा किए। 200 से अधिक मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि 49 प्रतिशत मानसिक रोगी तंबाकू (निकोटिन) की लत से ग्रस्त हैं। हालांकि, शोध में यह सकारात्मक बात भी सामने आई कि इनमें से 42 प्रतिशत मरीज इस लत को छोड़ना चाहते हैं।
इस आयोजन में कई शहरों के डॉक्टरों के अलावा डब्लूएचओ के विशेषज्ञ भी शामिल हुए। यह आयोजन कल यानी शुक्रवार को भी जारी रहेगा।
Edited By: Navin Rangiyal