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मालवा उत्सव में विशेष प्रस्तुति : मां अहिल्याबाई के शौर्य और भक्ति की गाथा

Webdunia
रविवार, 11 मई 2025 (08:00 IST)
Malwa Utsav : युवक-युवतियां के समूह अपनी मस्ती में मस्त, मस्ती से इधर-उधर शिल्प देखते हुए तो कुछ समय के लिए मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में तालियां बजाते हुए, छोटे-छोटे बच्चे ऊंट पर सवारी करके आनंद लेते हुए, झूला झूलना और मालवी व्यंजनों का लजीज स्वाद तो उत्सवी माहौल का गुणगान करते इंदौरी लहजे में भैया नमस्ते कहकर आगे बढ़ते कलाप्रेमियों के समूह आज मालवा उत्सव में अपनी कलाप्रियता को दर्शाते हुए दिखाई दे रहे थे।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि आज शिल्प बाजार में नगालैंड से नारोला नेकलेस फ्लावर स्टोर आदि लेकर मालवा उत्सव में आई हैं वहीं उत्तर प्रदेश से हैंडलूम की बेडशीट लेकर आस मोहम्मद आए हैं। डिंडोरी मध्य प्रदेश से गोंड पेंटिंग जिसे हाथ से बनाने में करीब 3 से 5 दिन लगते हैं लेकर रजनी धुर्वे, सूरज सुकर्मा आदि आए हैं। थाईलैंड युगांडा से भी शिल्पकार यहां आए हैं। फरीदाबाद एवं भोपाल से टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लावर पॉट बुद्धा आदि हैं लेकर पहुंचे हैं।

पश्चिम बंगाल से जहां हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की बेडशीट, जूट के बैग आए हैं, तो टीकमगढ़ का प्रसिद्ध ब्रास शिल्प मालवा उत्सव में अपनी कला बिखेरने आया है। पीतल शिल्प, लौह शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राय फ्लावर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित अनेकों आइटम यहां मौजूद हैं।

विशेष प्रस्तुति : लोकमाता अहिल्या शौर्य और भक्ति की गाथा
लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा एवं संकल्प वर्मा दमयंती भाटिया एवं शिष्यों द्वारा मां अहिल्याबाई नारी शक्ति के रूप मेंआधारित नृत्य नाटिका में सेवा नेतृत्व एवं संघर्ष की गाथा को नृत्य के माध्यम से बताया गया है। धर्म परंपरा और आधुनिकता के बीच में संतुलन बनाते हुए इसे दिखाया गया।

पंजाब का प्रसिद्ध नृत्य भांगड़ा प्रस्तुत हुआ जिसमें खंडे, कलमुझी, तुम्बी ढोल आदि की सहायता से शानदार नृत्य प्रस्तुत किया गया। गुजरात का प्राचीन गरबा भी खूबसूरती के साथ प्रस्तुत हुआ। डिंडोरी से आए कलाकार द्वारा धोती-कुर्ता एवं कौड़ियों की माला पहनकर गुडूम बाजा नृत्य प्रस्तुत किया गया। गुजरात के डांगी जिले से आए हुए कलाकारों ने खांडवा, नथ एवं साड़ी पहनकर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया।

निमाड़ का गणगौर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति रही, बोल थे, 'अरे साएबा खेलन गई गणगौर'। 'गल का लाइए हो तबीज नजर का तांगा लाइए' बोल पर हरियाणवी फागण डांस प्रस्तुत किया गया। यह फागण मास में जब फसल पक जाती है तो उस समय खुशी में घरवाली अपने पति से फरमाइश करते समय जो कहती है, उसको प्रस्तुत किया गया है। स्मृति आदित्य एवं शिष्यों द्वारा रक्तबीज वध को बहुत ही सुंदरता के साथ नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया। वीर नाट्यम की भी प्रस्तुति हुई।

कला शिविर में ख्यात चित्रकारों ने बनाए चित्र
शुभा वैद्य, नारायण पाटीदार, आलोक शर्मा, धीरेंद्र मांडगे, जयप्रकाश चौहान, विनीता शर्मा जैसे ख्यात चित्रकारों ने आज अपनी मन की भावनाओं को चित्रों के माध्यम से इस कला शिविर में व्यक्त किया। किसी ने तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर की पेंटिंग बनाई तो किसी ने प्रकृति को संरक्षित रखने हेतु दर्शाया तो कहीं नारी शक्ति को परिलक्षित किया तो किसी ने मालवा उत्सव की बानगी को प्रस्तुत किया

11 मई के कार्यक्रम
दिलीप जोशी एवं जुगल जोशी ने बताया कि शिल्प मेला दोपहर 12 बजे से एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में गणगौर, घूमर, वीर नाट्यम, पंजाबी नृत्य, प्राचीन गरबा, गुडूम बाजा एवं स्थानीय प्रस्तुतियां होंगी।

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