आज के दिन ही हुंकारा गया था "स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है"

Webdunia
- अथर्व पंवार
 
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतियों में स्वतंत्रता प्राप्ति की ज्योत पुनः जलाने का कार्य किया था। 1857 की क्रांति के बाद से ही जब भारतियों में एकता और आत्मविश्वास का अभाव था तब तिलक ने ही देशवासियों को जोड़ा। उन्होंने लोगों को एकत्रित करने के लिए गणेशोत्सव आरम्भ किए। इन उत्सवों के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता का विचार जन-जन तक पहुंचाया।
 
1 जून 1916 को अहमदनगर में लोकमान्य तिलक ने एक ऐसा नारा दिया जो इतिहास में अंकित स्वाधीनता प्राप्ति की गुंजों में से एक था। वह था , "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहूंगा"

2007 में भारत के प्रधानमंत्री के एक वक्तव्य में कहा गया है कि उस निराशा और पराजय के वातावरण में तिलक खड़े हुए और उन्होंने भारतियों को समझाया कि यह तथाकथित 'अच्छी सरकार' हमारे 'स्वराज्य' का विकल्प नहीं हो सकती। भारतीय स्वयं पर शासन के अपने प्राकृतिक अधिकार को प्राप्त करना चाहते थे। इसीलिए तिलक ने कहा कि स्वराज्य उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। लोगों को अपनी स्वतंत्रता खरीदनी नहीं पड़ती, हर व्यक्ति स्वतंत्र रहने के अधिकार के साथ जन्म लेता है। इसका विभिन्न राज्यों के, विभिन्न भाषाओँ के और विभिन्न मत को मानने वालों पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बारिश के मौसम में जरूर पिएं ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स, शरीर को देंगे इम्युनिटी, एनर्जी और अंदरूनी गर्माहट

रोने के बाद क्या सच में आंखें हो जाती हैं स्वस्थ? जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक सच

टॉप 7 फूड्स जो मसल्स रिकवरी को तेजी से सपोर्ट करते हैं, जानिए जिमिंग के बाद क्या खाना है सबसे फायदेमंद

दही खाते समय लोग करते हैं ये 8 बड़ी गलतियां, सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

शिव के विषपान प्रसंग पर हिन्दी कविता : नीलकंठ

सभी देखें

नवीनतम

कितनी दौलत की मालकिन हैं 'क्‍योंकि सास भी कभी बहू थी' की तुलसी विरानी...जानें स्‍मृति ईरानी के पास कितनी ज्‍वेलरी और प्रॉपर्टीज है

श्रावण मास: धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में एक सूक्ष्म विश्लेषण

कौन हैं भारत के सबसे अमीर मुस्लिम? भारत के सबसे बड़े दानवीर का खिताब भी है इनके नाम

नागपंचमी स्पेशल प्रसाद: जानें 6 विशेष भोग व पकवान

कारगिल की जंग में भारत के साथ थे कौन से देश और किसने दिया था दुश्मन पाकिस्तान का साथ, जानिए इतिहास

अगला लेख