2023 सबसे गर्म साल, 2024 में नहीं मिलेगी राहत, क्या बोले वैज्ञानिक

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 11 जनवरी 2024 (07:09 IST)
गर्मी के कारण भयानक घटनाएं
1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी 
मनुष्य की आयु पर हो रहा है असर

2023 was worlds hottest year on record : दुनियाभर में गर्मी तेजी से बढ़ रही है। चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि 2023 सबसे गर्म साल रहा है। औद्योगिकीकरण (industrialization) से पहले के स्तर की तुलना में औसत वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गई। डराने वाली बात यह है कि 2024 में राहत नहीं मिलने वाली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर तपन और भी बढ़ने वाली है। 
 
कौनसा साल था सबसे गर्म : 1991-2020 के औसत से 0.60 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था और 1850-1900 के बीच पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था। 
गर्मी से इन घटनाओं का सामना : दुनियाभर में बढ़ी इस गर्मी ने 2023 में दुनिया के बड़े हिस्सों में कई चरम मौसम की घटनाओं को और भी भयावह बनाया। पिछले साल रिकॉर्ड गर्मी ने यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन और कई अन्य स्थानों पर जीवन को दयनीय और घातक बना दिया था। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक जलवायु संबंधी घटनाओं के लिए गर्म होती जलवायु भी जिम्मेदार है, जैसे लंबा सूखा जिसने हॉर्न ऑफ अफ्रीका को तबाह कर दिया, मूसलाधार बारिश जिसने बांधों को नष्ट कर दिया और लीबिया में हजारों लोगों की जान ले ली और कनाडा में जंगल की आग ने उत्तरी अमेरिका की हवा को खराब कर दिया।
 
दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी : वैज्ञानिकों के मुताबिक 2023 में पहली बार ऐसा हुआ जब हर दिन औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) काल के स्तर से एक डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। 
 
कौनसे महीने थे गर्म : 2023 में लगभग 50 प्रतिशत दिन 1850-1900 के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थे और पहली बार, नवंबर में दो दिन दो डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म थे। सी3एस के मुताबिक 2023 में वैश्विक औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस था, जो 2016 में पिछले उच्चतम वार्षिक तापमान से 0.17 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
 
2024 में बढ़ सकती है गर्मी : आशंका है कि साल 2024 साल 2023 से भी अधिक गर्म होगा। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के वैज्ञानिकों ने कहा कि जनवरी या फरवरी 2024 में समाप्त होने वाली 12 महीने की अवधि में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार हो सकती है। इससे जलवायु प्रभाव बढ़ सकता है।

क्या थे कारण : कई कारण थे जिन्होंने 2023 को रिकॉर्ड सबसे गर्म वर्ष बना दिया है, लेकिन अब तक का सबसे बड़ा कारक वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की लगातार बढ़ती मात्रा थी जो गर्मी को रोकती है। वे गैसें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने से आती हैं। अन्य कारकों में प्राकृतिक अल नीनो भी शामिल है। 
 
अल नीनो मध्य प्रशांत का एक अस्थायी वार्मिंग जो दुनिया भर में मौसम को बदलता है। आर्कटिक, दक्षिणी और भारतीय महासागरों में अन्य प्राकृतिक बदलाव भी हुए जिसमें, सौर गतिविधि में वृद्धि और 2022 में समुद्र के नीचे ज्वालामुखी का विस्फोट जिसने वायुमंडल में जल वाष्प भेजा, शामिल था। 
 
बातें सिर्फ कागजों पर : तमाम बड़े-बड़े मंचों पर धरती का तापमान नियंत्रित करने की बात होती है। 2015 पेरिस समझौते में निर्धारित पूर्व-औद्योगिक समय में ग्लोबल वार्मिंग को लक्षित 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के उद्देश्य से एक मजबूत कार्ययोजना पर जोर दिया गया। समुद्रों के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए वादे और दावे किए जाते हैं लेकिन दुनिया में गर्मी लगातार बढ़ती ही जा रही है। 
 
मनुष्य के साथ जानवरों पर भी असर : प्रचंड गर्मी से क्या बच्चे और क्या जवान व बुजुर्ग सभी लोग परेशान हो रहे हैं। बात करें इंसानों की तो गर्मी के कारण 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की मौत के मामलों में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसका असर जानवरों और अन्य प्रजातियों पर भी गंभीर रूप से पड़ रहा है। धरती के लगातार बढ़ते तापमान की वजह से बहुत की प्रजातियों पर अस्तित्व का संकट गहरा गया है।
क्या अल नीनो है वजह : अल नीनो के प्रभाव से वैश्विक औसत तापमान लगभग 0.1 से 0.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। अल नीनो असाधारण गर्मी का एक कारण यह है कि हम एक महत्वपूर्ण अल नीनो में हैं जो अभी भी मजबूत हो रहा है। अल नीनो के दौरान हम उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के अधिकांश भाग में सतही महासागर के गर्म होने को देखते हैं।  Edited By : Sudhir Sharma

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