Andrew Mountbatten Windsor: ब्रिटेन के वर्तमान राजा चार्ल्स तृतीय के 65 वर्षीय छोटे भाई, प्रिंस एंड्रयू ने अपनी "उपाधि और शाही सम्मान" खो दिए हैं। अब वे राजकुमार (प्रिंस) नहीं रहे। उनका नया नाम है 'मिस्टर एंड्रयू माउंटबैटन विंडसर (Mr Andrew Mountbatten Windsor)। किंग चार्ल्स ने सार्वजनिक रूप से अपने इस छोटे भाई से नाता तोड़ लिया है। एंड्रयू को ब्रिटेन में स्थित अपनी सारी अचल संपत्ति खाली करने के लिए कहा गया है। अटकलों का बाज़ार गर्म है कि वे ब्रिटेन छोड़ कर अबू धाबी जाएंगे।
एंड्रयू के पतन का तालियों के साथ स्वागत : बीबीसी टेलीविज़न के राजनीतिक चर्चा कार्यक्रम "प्रश्न काल" में यह सनसनीखेज़ समाचार जब सुनाया गया कि एंड्रयू अपनी राजसी उपाधि खो रहे हैं, तब दर्शकों ने तालियों के साथ इसका स्वागत किया। एंड्रयू और उनकी पूर्व पत्नी सैरा फर्ग्युसन को 'विंडसर ग्रेट पार्क' स्थित अपने 30 कमरों वाले रॉयल लॉज से अब विदा लेनी होगी। उसमें कथित तौर पर सात बेडरूम हैं।
हाल ही में पता चला है कि एंड्रयू ने 20 वर्षों से वहां का किराया भी नहीं दिया है। यह लॉज शाही परिवार कि निजी संपत्ति नहीं, सरकारी संपत्ति है– यानी देश की करदाता जनता उसका ख़र्च उठाती है। एंड्रयू बहुत पहले ही ब्रिटिश राजघराने के सबसे अधिक अलोकप्रिय सदस्य बन गए थे। जनमत सर्वेक्षण संस्था 'यूगॉव' (YouGov) के एक सर्वेक्षण में, 91 प्रतिशत ब्रिटिश नागरिकों ने कहा कि एंड्रयू उन्हें पसंद नहीं हैं।
अलोकप्रियता की पृष्ठभूमि : इस अलोकप्रियता की पृष्ठभूमि, बड़े-बड़ों के साथ उठने-बैठने वाले महाधूर्त अमेरिकी बैंकर जेफरी एपस्टीन के साथ एंड्रयू की मिलीभगत रही है। एपस्टीन एक सज़ायाफ़्ता यौन-शोषण अपराधी था। उसने कमसिन लड़कियों के यौन-शोषण का एक गिरोह बना रखा था। उसके मित्रों और सुपरिचितों में राजकुमार एंड्रयू ही नहीं, सऊदी अरब के युवराज मोहम्द बिन कासिम, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और वर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प जैसे बड़े-बड़े नाम रहे हैं। कलई खुल जाने पर अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान 10 अगस्त, 2019 को जेफरी एपस्टीन ने आत्महत्या कर ली।
ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय अपने छोटे भाई एंड्रयू की नकारात्मक कारस्तानियों वाली सुर्खियों को सह नहीं कर पा रहे थे। एक औपचारिक प्रक्रिया के तहत, राजा चार्ल्स के आदेश पर एंड्रयू अपनी सारी राजसी उपाधियां अब खो देंगे– ''रॉयल हाइनेस'' नहीं रहेंगे, और ''ऑर्डर ऑफ़ द गार्टर'' से भी हाथ धो बैंठेगे। उन्हें जल्द से जल्द, लंदन से 150 किलोमीटर दूर नॉरफ़ॉक के सैंड्रिंघम में स्थित चार्ल्स की निजी शाही संपत्ति में निर्वासित कर दिया जाएगा। वहां एंड्रयू के रहने-सहने का ख़र्च राजा चार्ल्स स्वयं उठाएंगे। यह जगह ब्रिटेन के शाही परिवार के आमोद-प्रमोद के काम आती है। शाही परिवार के सदस्य यहां क्रिसमस आदि मनाया करते हैं।
कमज़ोर आर्थिक स्थिति : पूर्व राजकुमार एंड्रयू की आर्थिक स्थिति बहुत कमज़ोर हो गई है। आधिकारिक तौर पर बताई गई एकमात्र आय नौसेना से मिलने वाली उनकी पेंशन है, जो लगभग 18.966 पाउन्ड प्रति वर्ष है। एंड्रयू के पास कितनी और संपत्ति है, यह सार्वजनिक रूप से ज्ञात नहीं है। ब्रिटिश नौसेना में अपनी सेवा से मिलने वाली एंड्रयू की पेंशन ही उनकी आधिकारिक तौर पर बताई गई एकमात्र आय है। हालाँकि, राजमहल ने एंड्रयू को उनके दैनिक जीवन को चलाने में मदद के लिए एक "उचित निजी भत्ता" दिए जाने की पुष्टि की है। इससे पता चलता है कि एंड्रयू कम से कम आंशिक रूप से अपने भाई की वित्तीय दया पर निर्भर रहेंगे।
एंड्रयू की पूर्व पत्नी, सैरा फर्ग्युसन को भी रॉयल लॉज छोड़ना होगा और भविष्य में अपने जीवन-यापन का प्रबंध स्वयं करना होगा। वे लेखन-कार्य और सार्वजनिक प्रस्तुतियों सहित विभिन्न स्रोतों से आय अर्जित करती हैं। अक्टूबर के मध्य में एंड्रयू द्वारा "ड्यूक ऑफ़ यॉर्क" की उपाधि त्यागने के बाद, सैरा फर्ग्युसन ने भी "डचेस ऑफ़ यॉर्क" की उपाधि खो दी और तब से बिना किसी शाही उपाधि के हैं।
बोटियों का स्थान यथावत : बेटियों, बीट्रीस और यूजिनी के लिए कुछ भी नहीं बदला है: दोनों के लिए राजकुमारी की उपाधि और उत्तराधिकार की पांत में उनका स्थान यथावत बना रहेगा। उन्होंने बहुत पहले ही शाही परिवार के लिए आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करना और नियमित व्यवसायों से अपनी आजीविका कमाना बंद कर दिया है।
एंड्रयू के चालचलन पर हाल ही में एक पुस्तक लिखने वाले इतिहासकार एंड्रयू लोनी, राजा चार्ल्स के निर्णय को एक मुक्तिदायक कदम मानते हैं: "वे खुद को बचाने के लिए एंड्रयू की बलि दे रहे हैं, और यह अभी पहला कदम है। यह उसका (एंड्रयू का) बहुत बड़ा अपमान है, लेकिन उसका व्यवहार ही अपमानजनक रहा है। एंड्रयू की उत्कट कामवासना की एक पीड़िता रही वर्जीनिया गिफ्रे की हाल ही में आई किताब ने, एक बार फिर एपस्टीन के साथ एंड्रयू के घिनौने संबंधों का भंडा फोड़ दिया है।"
आरोपों से सतत इनकार : एंड्रयू अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को मानने से हमेशा इनकार करते रहे। यौन शोषण करवाने के अपराधी जेफरी एपस्टीन के माध्यम से नाबालिग रही वर्जीनिया गिफ्रे के साथ अपने यौन दुराचार की बात भी उन्होंने नहीं मानी। अपने बचाव के लिए यही दुहराते रहे कि उन्होंने 2010 में ही एपस्टीन से नाता तोड़ लिया था। लेकिन हाल ही में, 2011 के अंत तक लिखे गए उनके अंतरंग ईमेल सामने आए। शाही जीवनी लेखक रॉबर्ट हार्डमैन के अनुसार, यही राजा चार्ल्स के लिए अपने कठोर निर्णय पर पहुँचने का अंतिम प्रमाण बना।
कुछ ही दिन पूर्व, एंड्रयू की इस विद्रोही घोषणा के विपरीत कि वे ''ड्यूक ऑफ यॉर्क'' की अपनी उपाधि त्याग रहे हैं, राजप्रासाद द्वारा जारी किया गया आदेश जितना संक्षिप्त था, उतना ही कठोर भी। इसी के साथ उनकी उपाधियों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई, और रॉयल लॉज का पट्टा– जिसने एंड्रयू को लंबे समय तक उसके निरंतर उपयोग की गारंटी दे रखी थी– समाप्त कर दिया गया।
सभी निर्णय सरकार के साथ समन्वय से : अपने संक्षिप्त बयान में, राजा चार्ल्स ने अपने भाई के दुर्व्यवहार से पीड़ितों के साथ अपनी एकजुटता जताई है। राजप्रसाद की ओर से बताया गया कि सभी निर्णय देश की वर्तमान सरकार के साथ मिल कर समन्वय पूर्वक लिये गए हैं।
ब्रिटेन का शाही परिवार, हालांकि आमतौर पर संसदीय जांच के अधीन नहीं होता, तब भी एंड्रयू को संसदीय जांच समिति के समक्ष बुलाने के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ रहा था। शाही परिवार इसे रोकने के लिए दृढ़ था। इतिहासकार एंड्रयू लोनी का मानना है कि राजकुमार एंड्रयू का मामला शाही परिवार के लिए अभी खत्म नहीं हुआ है। पुलिस यह भी जांच कर रही है, कि क्या एंड्रयू ने अपने अंगरक्षकों को य़ौन दुराचार पीड़िता वर्जीनिया गिफ्रे की विश्वसनीयता घटाने वाली सामग्रियां जुटाने का निर्देश दिया था? इतिहासकार लोनी को लगता है कि एंड्रयू-प्रकरण की जांच करने और संभवतः उन पर अभियोग लगाने के आधार भी मिल सकते हैं।
इस सारे प्रकरण में समझ से सबसे अधिक परे बात यह है, कि ब्रिटेन जैसे एक धनीमानी देश के एक सर्वसाधन संपन्न राजकुमार को– जो सैरा फ़र्ग्युसन जैसी एक सुंदर महिला का पति और दो बेटियों का पिता है – 50 से ऊपर की पक्की आयु में, अपनी कामवासना की तृप्ति के लिए कमसिन लड़कियों की ही भूख क्यों सता रही थी! क्या यह अपनी श्रेष्ठता व सुसभ्यता का सदा ढिंढोरा पीटने वाले पश्चिमी जगत में, सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों के बीच भी, नैतिकता के सतत अधःपतन का ही एक ज्वलंत प्रमाण नहीं है!