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नेपाल में तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार के गठन पर गहराया संकट, बड़ा सवाल, क्या भटक गया Gen-Z आंदोलन?

विकास सिंह
गुरुवार, 11 सितम्बर 2025 (16:25 IST)
नेपाल में Gen-Z जनरेशन के विद्रोह और ओली सरकार के तख्तापलट के बाद अब नई सरकार के गठन को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। नई सरकार के गठन को लेकर जिस तरह से Gen-Z के नेताओं में दो फाड़ नजर आ रहे है उससे संकट और बड़ा हो गया है। राजधानी काठमांडू में सरकार गठन को लेकर चल रही चर्चा का जेन-जी गुट के नेताओं के विरोध जताने की खबरें भी सामने आ रही है। अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करें इसको लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में संभावना इस बात की बहुत बढ़ गई है कि नेपाल में कहीं सेना कोई शासक की भूमिका में नहीं आ जाए।

तीन दिन तक हिंसा में नेपाल को झुलसाने के बाद गुरुवार को Gen-Z के नेता पहली बार सामने आए और अपनी मांग देश की जनता के सामने रखी। Gen-Z के नेताओं ने देश में हुई हिंसा से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि आगजनी और तोड़फोड़ की घटना में राजनीतिक दल के कार्यकर्ता शामिल थे। Gen-Z का नेतृत्व कर रहे अनिल बनिया और दिवाकर मंगल ने मीडिया से बात करते हुए कहा हमने यह आंदोलन बुजुर्ग नेताओं से तंग आकर किया। उन्होंने कहा कि उन्होने युवाओं से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अपील की लेकिन आंदोलन मे राजनीति कार्यकर्ताओं ने शामिल होकर आगजनी और तोड़फोड़ की।

वहीं Gen-Z के नेता दिवाकर दंगल ने साफ शब्दों में कहा वह देश का नेतृत्व संभालने में सक्षम नहीं है। उन्होंने एक बार फिर देश की संसद को भंग करने की मांग की। उन्होंने साफ कहा कि वह देश का संविधान बदलने की कोशिश नहीं कर रहे है और वह संसद भंग कर देश में नए सिरे से चुनाव कराना चाहते है।

जबरदस्त हिंसा के बाद अब नेपाल अब उस चौराहे पर खड़ा है, जहां आगे की तस्वरी पूरी तरह साफ नहीं है। नई सरकार के नेतृत्व  कौन करेगा इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है। विद्रोह के बाद सेना ने पूरे नेपाल को अपने अधिकार में ले लिया है। आज चौथे दिन भी नेपाल के कई हिस्सों में हिंसा का दौर चल रहा है।

अगर देखा जाए तो दक्षिण एशिया के कई देश को हाल के वर्षों में ताख्तापलट का सामना करना पड़ा है। पहले बांग्लादेश, श्रीलंका और अब नेपाल में चुनी हुई सरकार के ताख्तापलट का एक ही तरह का पैटर्न दिखाई दिया। जहां युवा पीढ़ी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई और ताख्तापलट कर दिया। इन देशों के युवा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, आर्थिक संकट और खराब शासन से तंग आ चुके थे और वह बदलाव की मांग करते हुए सड़क पर उतरे और विद्रोह कर दिया। इन आंदोलनों के प्रभाव लगभग एक जैसे हैं।

पिछले साल बांग्लादेश में हुए आंदोलन में युवाओं की भूमिका सबसे अहम रही थी. वहीं श्रीलंका के आंदोलन में आर्थिक मुद्दे सबसे ज़्यादा हावी थे। वहीं नेपाल में ओली सरकार के भ्रष्टाचार औक कुप्रबंधन के चलते बेरोजगारी चरम पर थी। नेपाल में न तो युवाओं के लिए नौकरियां हैं और न ही दूसरे अवसर। अपनी आकांक्षाओं की आग में सुलग रहे Zen-Z के अंदर सुलग रही आग को इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध ने विस्फोटक बना दिया।

दरअसल नेपाल में युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के जरिए जब सरकार को घेरने लगी। सरकार मे शामिल मंत्रियों और राजनेताओं के भ्रष्टाचार को लेकर सोशल मीडिया पर मुख होने लगी तो सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म युवाओं को रोजगार और आर्थिक अवसरों के अभाव के खिलाफ गुस्सा निकालने का मंच मुहैया करा रहे थे लेकिन जब सरकार ने उस पर बैन लगाया तो उनका गुस्सा फूट पड़ा औऱ देखते ही देखते नेपाल में ताख्तापलट हो गया।  

नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा अधिकारी 'वेबदुनिया' से बातचीत में कहते है कि नेपाल में जिस तरह से ओली सरकार में भष्टाचार था, देश मे बेरोजगारी चरम पर थी उससे युवाओं में गुस्सा था और आंदोलन के जरिए उसमें विस्फोट हुआ। वह कहते है कि इस आंदोलन में इतना नुकसान हो गया है कि नेपाल अब बहुत पीछे चल गया है। हिंसां के दौरान नेपाल में जिस तरह से बड़े कारोबारी और उद्गोयपतियों के निशाना बनाया गया, बड़े-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लूटपाट औऱ आगजनी की गई उसके बाद अब कोई नेपाल मे निवेश के लिए आगे आएगा यह बहुत मुश्किल है।

नेपाल में Gen-Z जनरेशन के विद्रोह के बाद अब सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि आज भी युवाओं के सामने चुनौतियां वहीं है, ऐसे में नई सरकार क्या युवाओं की महत्वकांक्षा को पूरा करने में कामयाब होगी या नेपाल भी उन राष्ट्रों की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाएगा कि जहां तख्तापलट के बाद आज भी अस्थिरता से जूझ रहे है।

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