न्यूयॉर्क। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए संबोधन में अपने देश को अमेरिकी कृतघ्नता का और अंतरराष्ट्रीय दोहरेपन का पीड़ित दिखाने की कोशिश की। इमरान ने कश्मीर मुद्दा उठाने के साथ ही भारत सरकार के लिए कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने भारत की मोदी सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी सरकार और फासीवादी बताया।
खान ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति कश्मीर मुद्दे के र्वमाधान पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने सभी पड़ोसियों की तरह भारत के साथ भी शांति चाहता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्ताव और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार दक्षिण एशिया में स्थायी शांति जम्मू कश्मीर के समाधान पर निर्भर है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से गिलानी के पार्थिव शरीर को उचित इस्लामी रस्मों के साथ शहीदों के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति मांगी।
खान ने अपने संबोधन में पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बारे में बात की।
इमरान खान का पूर्व रिकॉर्डेड भाषण शुक्रवार शाम को प्रसारित किया गया जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन, वैश्विक इस्लामोफोबिया और 'भ्रष्ट विशिष्ट वर्गों द्वारा विकासशील देशों की लूट' जैसे कई विषयों पर बात की। अपनी अंतिम बात को उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत के साथ किए गए बर्ताव से जोड़ कर समझाने की कोशिश की।
पाक पीएम ने अमेरिका को लेकर गुस्सा और दुख जाहिर किया और उस पर पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान दोनों का साथ छोड़ देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के लिए, कुछ कारणों से, अमेरिका के नेताओं और यूरोप में कुछ नेताओं द्वारा पाकिस्तान को कई घटनाओं के लिए दोष दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस मंच से, मैं उन सबको बताना चाहता हूं कि अफगानिस्तान के अलावा जिस देश को सबसे ज्यादा सहना पड़ा है, वह पाकिस्तान है जिसने 9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में उसका साथ दिया।”
खान ने कहा कि अमेरिका ने 1990 में अपने पूर्व साथी (पाकिस्तान) को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन 9/11 के हमलों के बाद फिर से उसका साथ मांगा। अमेरिका को पाकिस्तान की तरफ से मदद दी गई लेकिन 80,000 पाकिस्तानी लोगों को जान गंवानी पड़ी। इसके अलावा देश में आंतरिक संघर्ष और असंतोष भी उपजा, वहीं अमेरिका ने ड्रोन हमले भी किए।