नहीं रहे दयालु जज फ्रैंक कैप्रियो, सोशल मीडिया पर वायरल हैं दिल छू लेने वाले फैसले

WD Feature Desk
गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (16:06 IST)
nicest judge in the world frank caprio is no more: दुनियाभर में अपनी दयालुता और इंसानियत भरे फैसलों के लिए मशहूर अमेरिकी जज फ्रैंक कैप्रियो का बुधवार को निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे और लंबे समय से पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। उनके परिवार ने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट के जरिए उनके निधन की जानकारी दी, जिसके बाद दुनियाभर के लाखों प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कैप्रियो की लोकप्रियता सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनके कोर्ट शो "कॉट इन प्रोविडेंस" के जरिए वे भारत समेत कई देशों में "दयालु जज" के नाम से जाने जाते थे।

शो जिसने उन्हें सुपरस्टार बनाया
फ्रैंक कैप्रियो प्रोविडेंस, रोड आइलैंड के एक म्यूनिसिपल कोर्ट जज थे। उनका कोर्ट शो 'कॉट इन प्रोविडेंस' 2018 से 2020 तक चला और इसे कई डेटाइम एमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया। इस शो में वे छोटे-मोटे अपराधों और ट्रैफिक उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करते थे। लेकिन, उनकी सुनवाई का तरीका बिल्कुल अलग था। वे सिर्फ कानून के हिसाब से फैसला नहीं करते थे, बल्कि लोगों की कहानियों को सुनते थे, उनकी आर्थिक स्थिति और परिस्थितियों को समझते थे और फिर मानवता के आधार पर अपना फैसला सुनाते थे।

दिल को छू लेने वाले फैसले और वीडियो
सोशल मीडिया पर उनके कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें उन्होंने अपनी दयालुता का परिचय दिया। एक वीडियो में उन्होंने एक 96 वर्षीय व्यक्ति का चालान माफ कर दिया, क्योंकि वह अपने कैंसर से जूझ रहे बेटे को डॉक्टर के पास ले जा रहे थे। इस फैसले ने करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया। एक अन्य वीडियो में वे एक बुजुर्ग व्यक्ति के केस की सुनवाई करते हुए बेहद भावुक हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने बिना कोई जुर्माना लगाए उसे जाने दिया।
कैप्रियो का एक और खास तरीका था कि वे माता-पिता के केस की सुनवाई करते समय उनके बच्चों को भी बुलाते थे। वे बच्चों से पूछते थे कि उनके माता-पिता ने क्या गलती की है और फिर बच्चों को ही फैसला करने देते थे कि उनके माता-पिता को क्या सजा मिलनी चाहिए। यह तरीका न सिर्फ अनोखा था, बल्कि इससे लोगों को अपनी गलतियों का एहसास भी होता था।
 
फ्रैंक कैप्रियो सिर्फ एक जज नहीं थे, बल्कि वे एक प्रेरणा थे। उन्होंने दिखाया कि न्याय सिर्फ कानून की किताबों में नहीं, बल्कि दिल में भी होना चाहिए। उनके दयालु फैसले हमेशा याद रखे जाएंगे और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।


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