फनी बाल गीत : क्या होता है रमतूला

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मम्मी मुझको नहीं खेलने,
देती है अब घर घूला
न ही मुझे बनाने देती,
गोबर मिट्टी का चूल्हा
 
गपई समुद्दर क्या होता है,
नहीं जानता अब कोई।
गिल्ली डंडे का टुल्ला तो,
बचपन बिल्कुल ही भूला।
 
हुआ आजकल सावन भादों,
व्यस्त बहुत मोबाइल में,
आम नीम की डालों पर अब,
कहीं नहीं दिखता झूला।
 
अब्ब्क दब्बक दाएं दीन का,
बिसरा खेल जमाने से
अटकन चटकन दही चटाकन,
लगता है भूला भूला।
 
न ही झड़ी लगे वर्षा की,
न ही चलती पुरवाई।
मौसम लकवाग्रस्त हो गया,
भू का मुंह रहता फूला।
 
ऐसी चली हवा पश्चिम की,
हम खुद को ही भूल गए
गुड़िया अब ये नहीं जानती,
क्या होता है रमतूला।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: फनी बाल गीत : हंसकर कह दो

ALSO READ: बाल गीत : उठ जाओ अब मेरे लल्ला

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

23 मार्च भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहीदी दिवस

वेंटिलेटर पर रिफिल

विश्व मौसम विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? जानें इस वर्ष की थीम

कवि विनोद कुमार शुक्ल, ज्ञानपीठ सम्मान की खबर और उनसे मिलने की एक चाह

हर मौसम में काम आएंगे पानी के संकट से बचने के ये 10 तरीके

अगला लेख