बाल कविता : बारह मासा

Webdunia
- मोहिनी गुप्ता
 
प्रथम महीना चैत से गिन
राम जनम का जिसमें दिन।।
 
द्वितीय माह आया वैशाख।
वैसाखी पंचनद की साख।।
 
ज्येष्ठ मास को जान तीसरा।
अब तो जाड़ा सबको बिसरा।।
 
चौथा मास आया आषाढ़।
नदियों में आती है बाढ़।। 
 
पांचवें सावन घेरे बदरी।
झूला झूलो गाओ कजरी।।
 
भादौ मास को जानो छठा।
कृष्ण जन्म की सुन्दर छटा।। 
 
मास सातवां लगा कुंआर।
दुर्गा पूजा की आई बहार।। 
 
कार्तिक मास आठवां आए।
दीवाली के दीप जलाए।।
 
नवां महीना आया अगहन।
सीता बनीं राम की दुल्हन।। 
 
पूस मास है क्रम में दस।
पीओ सब गन्ने का रस।।
 
ग्यारहवां मास माघ को गाओ।
समरसता का भाव जगाओ।। 
 
मास बारहवां फाल्गुन आया।
साथ में होली के रंग लाया।। 
 
बारह मास हुए अब पूरे।
छोड़ो न कोई काम अधूरे।। 
 
साभार- देवपुत्र  

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

अगला लेख