बाल कविता : बारिश में हुड़दंगी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बंदर बोला, मिस्टर हाथी,
क्यों लंगड़ाते आप।
नहीं दिया उत्तर प्रणाम का,
भाग रहे चुपचाप।
 
हाथी रोकर बोला, सिंह ने,
खूब पिलादी भांग।
बारिश में हुड़दंगी की तो,
टूट गई है टांग।

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