चटपटी बाल कविता : जंगल की होली

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सोमवार, 10 मार्च 2025 (13:54 IST)
शेर भाई ने हाथी जी के,
माथे में था तिलक लगाया।
 
हाथी ने भी सूंड उठाकर,
ढेरम ढेर ग़ुलाल उड़ाया।
 
तभी हाथ में ले पिचकारी,
एक गिलहरी थी आ धमकी।
 
बंदर ढ़ोल बजता आया।
कौआ लगा बजाने टिमकी।
 
सबने होली खूब मनाई,
हो हल्ला था खूब मचाया।
 
एक लोमड़ी ने सबको ही,
हलवा गरमागरम खिलाया।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: होली पर कविता : मक्खी मच्छर की होली

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

होली विशेष भांग की ठंडाई कैसे बनाएं, अभी नोट कर लें यह रेसिपी

महिलाओं के लिए टॉनिक से कम नहीं है हनुमान फल, जानिए इसके सेवन के लाभ

चुकंदर वाली छाछ पीने से सेहत को मिलते हैं ये अद्भुत फायदे, जानिए कैसे बनती है ये स्वादिष्ट छाछ

मुलेठी चबाने से शरीर को मिलते हैं ये 3 गजब के फायदे, जानकर रह जाएंगे दंग

वास्‍तु के संग, रंगों की भूमिका हमारे जीवन में

सभी देखें

नवीनतम

विचार बीज है और प्रचार बीजों का अप्राकृतिक विस्तार!

यूक्रेन बन रहा है यूरोप के लिए एक निर्णायक परीक्षा का समय

क्या है होली और भगोरिया उत्सव से ताड़ी का कनेक्शन? क्या सच में ताड़ी पीने से होता है नशा?

पुण्यतिथि विशेष: सावित्रीबाई फुले कौन थीं, जानें उनका योगदान

Womens Day: पुरुषों की आत्‍महत्‍याओं के बीच महिलाएं हर वक्‍त अपनी आजादी की बात नहीं कर सकतीं

अगला लेख