हिन्दी कविता: रेलगाड़ी..रेलगाड़ी

Webdunia
Railgadi Poem
 
-पुरुषोत्तम व्यास

बड़ा हो गया फिर भी
रेल की सीटी बजते 
मन डोल-डोल जाता
 
रेलगाड़ी देखना
अपनापन-सा लगता
देख उसे
मन ही मन मुस्कुराता
 
रेलगाड़ी के चलाने वाले भैया
बड़े ही नसीबवान होते
बिना टिकट ही
वन-उपवन
गांव-नगर घूम-घूम आते
 
ऊपर से वेतन भी पाते
 
नहीं होती चाह सबकी पूरी
पर उनको देख 
मैं बहुत खुश हो जाता हूं।

ALSO READ: मजेदार हिंदी बालगीत : हम दादाजी के चमचे हैं...

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या दूध वाली चाय-कॉफी सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान?

गर्मी में वैक्सिंग के बाद दाने और खुजली की समस्या से राहत दिलाते हैं ये नुस्खे

ऑयली स्किन को मॉइश्चराइज और हाइड्रेट रखने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

गर्मियों में चेहरे को हाइड्रेट रखने के लिए लगाएं गुलाब जल और खीरे से बना फेस मिस्ट

क्या पीरियड्स के दौरान स्तन और बगल में दर्द है चिंता का विषय ?

विश्व चाय दिवस पर रोचक हिंदी कविता

international tea day: अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस, जानें इतिहास और इस दिन के बारें में

क्या सेब खाने के बाद होती है गैस की समस्या? जानें 3 प्रमुख कारण

सोने से पहले दूध में मिला लें ये 2 चीज़ें, सुबह आसानी से साफ होगा पेट!

Cardio Exercise करते समय होता है घुटने में दर्द? इन 10 टिप्स को करें ट्राई!

अगला लेख