बाल कविता : हो जाते हम बोनसाई तो

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
हो जाते हम बोनसाई तो,
कितने मज़े हमारे होते।
 
तीस इंच के होते पापा,
बीस इंच की मम्मी।
मैं होता बस आठ इंच का,
पांच इंच की सिम्मी।
 
एक इंच के बस्ते लेकर,
हम शाला को जाते होते।
बारह फुट लंबी बस होती,
होतीं सीटें साठ।
 
तीन इंच चौड़ी सीटों पर,
होते अपने ठाठ।
हिचकोले खाती इस बस में,
मस्ती मौज मनाते होते।
 
परिधि पांच मिलीमीटर के,
होते गोल परांठे।
होते तीन मिलीमीटर के,
छुरियां चम्मच कांटे
लंच बॉक्स के पकवानों के,
हम चटकारे लेते होते।
 

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