हिन्दी बाल कविता : हमने मजे उड़ाए...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लगी हुई थी हम बच्चों को,
बहुत दिनों से आस। 
दादा-दादी की शादी के,
होंगे साल पचास। 
 
स्वर्ण जयंती जल्दी होगी,
हम सोचें मुस्काएं। 
कब दादा को दूल्हा, 
दादीजी को दुल्हन बनाएं। 
 
और शीघ्र ही प्यारा-प्यारा-सा,
शुभ दिन वह आया। 
दादा-दादी को जब हमने,
नख-शिख पूर्ण सजाया। 
 
कुर्ता चमक रहा दादा का,
दादीजी की साड़ी। 
दोनों की जोड़ी है सचमुच,
सबसे प्यारी-न्यारी। 
 
धूम-धड़ाका हो-हल्ला कर,
हमने मजे उड़ाए। 
मित्र सभी हम सब बच्चों के,
दावत खाने आए। 
 

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