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रतन टाटा की पहली बरसी पर टाटा समूह में क्यों मचा घमासान? मंत्रियों ने क्या दी सलाह?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 (11:15 IST)
Tata Trust conflicts : रतन टाटा की पहली बरसी पर टाटा समूह में घमासान मचा हुआ है। बात इतनी बढ़ गई कि केंद्र सरकार का इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन को बुलाकर साफ कह दिया कि घरेलू झगड़े को जल्द निपटा लिया जाए, ताकि कंपनी पर असर न हो। 
 
मीटिंग में गृहमंत्री शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा शामिल हुए। अब टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड की 10 अक्टूबर को मीटिंग होगी। अभी टाटा संस के बोर्ड में 4 सीटें खाली हैं। बोर्ड में नटराजन चंद्रशेखरन, नोएल एन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, हरीश मैनवानी और सौरभ अग्रवाल शामिल हैं।
 
टाटा ग्रुप को नियंत्रित करती है टाटा संस : यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब मीडिया में टाटा ट्रस्ट्स के भीतर गवर्नेंस, पारदर्शिता और टाटा संस की शेयर बाजार में लिस्टिंग को लेकर मतभेद सामने आने की खबरें चल रही हैं। टाटा ग्रुप का नियंत्रण टाटा ट्रस्ट्स के पास है, जिसके पास टाटा संस में बहुमत की हिस्सेदारी है। टाटा संस वहीं होल्डिंग कंपनी है, जो 180 अरब डॉलर के कारोबारी साम्राज्य वाले टाटा ग्रुप को नियंत्रित करती है। इसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा पावर समेत ग्रुप की तमाम कंपनियां शामिल हैं।
 
2 गुटों में बंटा टाटा ट्रस्ट : मीडिया खबरों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड अब दो खेमों में बंट गया है। पहले गुट में नोएल टाटा, वीनू श्रीनिवासन और विजय सिंह हैं। वहीं, दूसरे पक्ष में मेहली मिस्त्री, डेरियस खांबटा, जहांगीर जहांगीर और प्रमीत झावेरी शामिल हैं। मेहली मिस्त्री को रतन टाटा का करीबी माना जाता था और वे उनकी वसीयत के एग्जिक्यूटर्स भी है।
 
क्या है टाटा में झगड़े की वजह : बताया जा रहा है कि ये मामला टाटा ट्रस्ट्स की 11 सितंबर को हुई मीटिंग से शुरू हुआ। इसमें टाटा संस के बोर्ड पर पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर दोबारा अपॉइंट करने पर बात होनी थी। लेकिन मीटिंग में सिंह नहीं आए। टाटा ट्रस्ट्स के सिंह समेत कुल 7 ट्रस्टी हैं। 
 
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के 9 अक्टूबर 2024 को निधन के बाद ट्रस्ट्स ने फैसला लिया था कि टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी डायरेक्टर्स को 75 साल की उम्र के बाद हर साल दोबारा अपॉइंट करना पड़ेगा। 77 साल के सिंह 2012 से ये रोल निभा रहे थे। री-अपॉइंटमेंट का ये प्रस्ताव नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने रखा था। लेकिन बाकी 4 लोग- मेहली मिस्त्री, प्रामित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने साफ मना कर दिया। इस वजह से प्रस्ताव रद्द हो गया।
 
इसके बाद इन चारों ने मेहली मिस्त्री को ही टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी के तौर पर प्रपोज करने की कोशिश की। लेकिन नोएल टाटा और श्रीनिवासन ने रोक दिया। मीटिंग खत्म होते ही सिंह ने टाटा संस बोर्ड से खुद ही इस्तीफा दे दिया।
 
Tata Sons की लिस्टिंग पर भी मतभेद : बताया जा रहा है कि टाटा संस की संभावित IPO लिस्टिंग को लेकर भी घमासान मचा हुआ है। टाटा ट्रस्ट्स का पक्ष यह है कि Tata Sons को निजी कंपनी ही रहना चाहिए ताकि ग्रुप की फैसला लेने की प्रक्रिया पर नियंत्रण बना रहे। हालांकि टाटा संस में माइनॉरिटी शेयरहोल्डिंग रखने वाला पलोनजी मिस्त्री परिवार चाहता है कि कंपनी पब्लिक लिस्टेड हो। इससे उन्हें अपने कर्ज कम करने के लिए पूंजी निकालने का अवसर मिले।
 
रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि आज : आज रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि हैं। उनकी पुण्यतिथि पर गुरुवार से 2 दिवसीय स्मृति कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें टाटा समूह के वरिष्ठ अधिकारी और केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। 10 अक्टूबर को टाटा ट्रस्ट्स की बैठक भी होना है।  
edited by : Nrapendra Gupta 

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