क्यों चिंता बढ़ा रही है GDP पर NSO की रिपोर्ट, क्या होगा आम आदमी की जेब पर असर?

नृपेंद्र गुप्ता
बुधवार, 8 जनवरी 2025 (15:37 IST)
  • NSO का अनुमान, GDP चार साल के निचले स्तर पर 
  • 2023-24 में वृद्धि दर 8.2 थी 
  • 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 5.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
GDP news in hindi : देश की आर्थिक वृद्धि पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)की रिपोर्ट से आर्थिक जगत में हड़कंप मच गया। इसमें दावा किया गया है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी घर घटकर 4 साल के निचले स्तर पर आ सकती है। जीडीपी दर में गिरावट मंदी के संकेत देती है। आज शेयर बाजार में गिरावट दिखाई दी तो रुपया भी ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। इससे पहले 2023-24 में देश की जीडीपी दर 8.2 थी।  

जीडीपी क्या बताती है?  जीडीपी (GDP) किसी देश की अर्थव्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड है। यह हमें बताती है कि देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में जा रही है या नहीं। जब GDP बढ़ती है, तो इसका मतलब होता है कि देश तरक्की कर रहा है, और जब गिरती है, तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में समस्याएं हैं।
 
क्या कहती है NSO की रिपोर्ट : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 4 साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी। अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2020-21 के बाद सबसे धीमी गति से बढ़ेगी। कोविड महामारी से बुरी तरह प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 5.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
 
रिपोर्ट में माइनिंग, मैन्यूफैक्चरिंग, फाइनेंशियल सेक्टर, कंस्ट्रक्शन समेत 6 क्षेत्रों में 2023-24 के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है। केवल कृषि और पब्लिक एडमिस्ट्रेशन में बढ़त दिखाई दे रही है। 
 
क्या है गिरावट की वजह : बताया जा रहा है कि महंगाई, ऊंची ब्याज दर और ट्रेड वार के दबाव की वजह से आर्थिक जीडीपी दर गिर रही है। अच्छे मानसून के बाद भी इस वर्ष कई वस्तुओं के दाम कम नहीं हुए। इस वजह से आरबीआई ने भी ब्याज दर नहीं घटाई। बढ़ती महंगाई की वजह से शहरी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति पर नकारात्मक असर पड़ा।
 
क्या होगा बाजार पर असर : फाइनेंशियल एक्सपर्ट योगेश बागौरा ने कहा कि विकास दर घटने की वजह से बाजार पर इसका नेगेटिव असर आएगा। लोगों का खर्च बढ़ने से निवेश और बचत के लिए पास पैसा कम बचेगा। इससे बाजार में उत्पादों की बिक्री घटेगी। इससे लोग निवेश कम करेंगे। शेयर बाजार, एसआईपी में निवेश कम होगा। पूरी साइकल इससे प्रभावित होगी। रोजगार पर भी इसका नकारात्मक असर हो सकता है।  
 
उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका के नव निर्वाचित राष्‍ट्रपति ट्रंप पहले ही ट्रैरिफ बढ़ाने का एलान कर चुके हैं। इसका भी नेगेटिव असर होगा। कुल मिलाकर इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.4 फीसदी रहती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ही आम आदमी पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। आने वाले समय में ब्याज दर में कटौती भी दिखाई दे सकती है।

रोजगार पर क्या होगा असर : जीडीपी गिरने पर कंपनियां अपने उत्पादन में कटौती करती हैं, जिससे औद्योगिक उत्पादन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बुरा असर पड़ता है। जीडीपी में गिरावट का सीधा असर रोजगार के अवसरों पर पड़ता है। कंपनियां नई भर्तियां बंद कर देती हैं। कई बार कर्मचारियों की छंटनी भी करनी पड़ती है। सरकार के पास कम राजस्व होने के कारण कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है। ऋण चुकाने में कठिनाई बढ़ने से बैंकों का एनपीए बढ़ सकता है।
 
बजट से पहले स्थिति निराशाजनक : कांग्रेस ने देश में आर्थिक वृद्धि में गिरावट का दावा करते हुए बुधवार को कहा कि अगले महीने पेश होने वाले बजट से पहले स्थिति निराशजनक है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि गरीबों के लिए आय सहायता, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अधिक मजदूरी और बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समय की मांग है।
 
रमेश ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में सिर्फ 6.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान है। यह चार साल का सबसे निचला स्तर है, और वित्त वर्ष 2024 में दर्ज 8.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में स्पष्ट गिरावट है। यह रिजर्व बैंक के हालिया 6.6 प्रतिशत की वृद्धि के उस अनुमान से भी कम है, जो ख़ुद ही पहले के 7.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
 
उन्होंने दावा किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था निचले स्तर पर आ गई है और विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला विनिर्माण क्षेत्र उस तरह से नहीं बढ़ रहा है जिस तरह से बढ़ना चाहिए।
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मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में सिर्फ 6.4% GDP ग्रोथ का अनुमान है।

यह 4 साल का सबसे निचला स्तर है और वित्त वर्ष 2024 में दर्ज 8.2% के ग्रोथ की तुलना में स्पष्ट गिरावट है।

यह RBI के हालिया 6.6% के ग्रोथ के उस अनुमान से भी कम है, जो ख़ुद ही… pic.twitter.com/IEbaKHelGs

— Congress (@INCIndia) January 8, 2025 >
मायावती ने भी जताई चिंता : बसपा प्रमुख मायावती ने भी रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए कहा कि चार वर्षों में सबसे कम 6.4 प्रतिशत रह सकती है विकास दर। देश के अधिकतर अखबारों में यह आज प्रमुख खबर है, जिसको लेकर अगर कोई वास्तव में दुखी है तो वह देश के गरीब एवं मेहनतकश समाज के लोग। वे अपनी बदहाल जिन्दगी जीने के बावजूद देश के बारे में कुछ भी अहित सुनने को तैयार नहीं।
 
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