पिछले एक साल में टेस्ट क्रिकेट में यह रही है टीम इंडिया की उपलब्धियां और असफलताएं

Webdunia
बुधवार, 24 नवंबर 2021 (13:07 IST)
भारत विश्व क्रिकेट का एक पावरहाउस है। हर फॉर्मेट में टीम इंडिया के पास अलग अलग खिलाड़ी हैं। टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो भारतीय टीम चौथे स्थान पर है लेकिन इस साल हुई विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की उपविजेता रही है।

बीते एक साल में भारत की टीम ने टेस्ट क्रिकेट में बेहद उतार चढ़ाव देखे हैं। अगर यह कहा जाए कि भारत एक समय यह उम्मीद खो चुका था कि वह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में जगह बना पाएगा लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद वह फाइनल तक तो पहुंच गया लेकिन कुँए के नजदीक आकर उसे प्यासा लौटना पड़ा।

अब भारत आईसीसी विश्वटेस्ट चैंपियनशिप के दूसरे चक्र की तैयारी उस ही देश से शुरु कर चुका था जहां उसने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल हारा। इंग्लैंड को टीम इंडिया लगभग 2-1 से हरा चुकी थी लेकिन कोरोना के कारण अंतिम टेस्ट स्थगित हो गया अब वह अगले साल खेला जाएगा।

अगर एक साल पीछे जाकर देखें की टीम इंडिया की क्या उपलब्धियां और असफलताएं रही तो बात ऑस्ट्रेलिया दौरे से शुरु होने चाहिए।

असफलता-  टेस्ट क्रिकेट में अपने न्यूनतम (36) स्कोर पर आउट हुई टीम इंडिया

टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 19 दिसंबर एक काले दिन के तौर पर याद किया जाएगा। एडिलेड में खेले गए इस टेस्ट के तीसरे दिन भारत 36 रनों पर ऑल आउट हो गया।

हालत इतनी खराब हो गई कि कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाया। टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने सर्वाधिक 9 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया की ओर से पैट कमिंस ने 21 रन देकर 4 विकेट और जोश हेजलवुड ने 8 रन देकर 5 विकेट झटके।  

ग्यारवें नंबर के बल्लेबाज मो. शमी को पैट कमिंस की एक गेंद हाथ पर लग गई थी। जिसके कारण वह बल्लेबाजी करने में असमर्थ दिखे और भारत को अपनी पारी 36 रनों पर ही घोषित करनी पड़ी।

इससे पहले भारत का न्यूनतम स्कोर 42 रन था जो उसने इंग्लैंड के खिलाफ 1974 में लार्ड्स में बनाया था। यह टेस्ट क्रिकेट में पांचवां न्यूनतम स्कोर है।

उपलब्धि- ऑस्ट्रेलिया को उस ही की जमीन पर 2-1 से हराया

जहां 19 दिसंबर 2020 एक काला दिन था तो टीम इंडिया ने 19 जनवरी 2021 को एक यादगार दिन बना दिया।

युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल (91), टीम इंडिया की दीवार चेतेश्वर पुजारा (56) और प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत (नाबाद 89) की करिश्माई बल्लेबाजी से भारत ने ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में ऑस्ट्रेलिया को चौथे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के पांचवें दिन मंगलवार को 3 विकेट से हराकर नया इतिहास रच दिया। भारत ने पहली बार ब्रिस्बेन में टेस्ट जीत हासिल की और 4 मैचों की सीरीज को 2-1 से जीत लिया।  इससे पहले भारत ने दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से मात दे दी थी।

भारत की गाबा मैदान में 7 टेस्ट मैचों में यह पहली जीत है। भारत ने इस मैदान पर अपने पिछले 6 टेस्ट मैचों में 5 हारे थे और एक ड्रॉ खेला था।

टीम इंडिया ने अजिंक्या रहाणे की कप्तानी में मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में शानदार वापसी करते हुए 8 विकेट से जीत हासिल की और सीरीज को 1-1 की बराबरी पर ला दिया था।

सिडनी में तीसरे टेस्ट के 5वें दिन साहसिक बल्लेबाजी करते हुए टेस्ट ड्रॉ कराया और ब्रिस्बेन में 5वें तथा अंतिम दिन ऐतिहासिक जीत अपने नाम कर ली थी। भारत के टेस्ट इतिहास में यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर लगातार 2 टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की।

असफलता-  भारत को इंग्लैंड द्वारा घर में मिली रनों के लिहाज से सबसे बड़ी हार

ऑस्ट्रेलिया में बोर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज जीतकर ऐसा लगा था भारत ने वो कर के दिखाया जो किसी ने ना किया हो, इसके बाद में इंग्लैंड के भारत दौरे के पहले मैच में ही टीम इंडिया फिसल गई।

जैक लीच की फिरकी के जादू और दुनिया के सबसे सफल तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन की तूफानी गेंदबाजी से इंग्लैंड ने पहले क्रिकेट टेस्ट के 5वें और अंतिम दिन भारत को 227 रन से हराकर 4 मैचों की श्रृंखला में 1-0 की बढ़त बनाई।

लीच (76 रन पर 4 विकेट) और एंडरसन (17 रन पर 3 विकेट) की सधी हुई गेंदबाजी के सामने भारतीय टीम 420 रन के विश्व रिकॉर्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए कप्तान विराट कोहली (72) और शुभमन गिल (50) के अर्द्धशतकों के बावजूद 58.1 ओवर में 192 रन पर ढेर हो गई। यह टेस्ट क्रिकेट में रनों (227) के लिहाज से इंग्लैंड की भारत में भारत पर सबसे बड़ी जीत साबित हुई।

उपलब्धि-  इंग्लैंड से 3-1 से सीरीज जीतकर विश्वटेस्ट चैंपियनशिप में जगह बनाई

ऑस्ट्रेलिया दौरे के जैसे ही पहले मैच में झटका लगने के बाद भारतीय टीम ने सीरीज में जबरदस्त वापसी की और अपने स्पिन गेंदबाजों के दम पर यह सीरीज 3-1 से जीत ली।

नवनिर्तमित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए चौथे टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड को पारी और 25 रनों से हरा दिया था। इस जीत के साथ भारत ने टेस्ट श्रंखला 2-1 से अपने नाम कर ली  थी और आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी टीम भी बन गई थी।

टॉस जीतकर इंग्लैंड फायदा नहीं उठा सकी और पहली पारी में महज 205 रन बना सकी थी। वहीं भारत ने शीर्ष बल्लेबाजी क्रम की असफलता के बाद ऋषभ पंत (101) और वॉशिंगटन सुंदर (96) की पारियों के बदौलत 365 रनों का विशाल लक्ष्य बनाया था।160 रनों से पीछे इंग्लैंड पहले की तरह ही दबाव में दिखी और उसका कोई बल्लेबाज भी लंबी पारी नहीं खेल सका।

इससे पहले भारत की टीम ने चिन्नास्वामी में खेले गए दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को 317 रनों से और नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए तीसरे (डे-नाइट) टेस्ट में 10 विकेट से हराया था।


असफलता- विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में न्यूजीलैंड से मिली 8 विकेट से खिताबी मात

भारत इस टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ बराबरी से मुकाबला कर रहा था लेकिन अंतिम दिन को तस्वीर पटल गई।  दो साल पहले शुरू हुआ आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का 23 जून 2021 को रोमांचक अंदाज में समाप्त हो गया। साउथम्प्टन के एजेस बॉउल मैदान पर न्यूजीलैंड ने भारत को हराकर पहला टेस्ट चैंपियनशिप खिताब अपने नाम करते हुए इतिहास रच दिया था।
 

केन विलियमसन की कप्तानी में कीवी टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए डब्ल्यूटीसी फाइनल आठ विकेट से जीतकर अपने नाम किया। फाइनल में न्यूजीलैंड के सामने 55 ओवर के खेल में 139 रनों का लक्ष्य था, जिसे टीम ने केवल दो विकेट खोकर हासिल कर लिया। एक बार फिर भारत को आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल या सेमीफाइनल में हार का मुंह देखना पड़ा था और खासकर यह लाल गेंद से टीम इंडिया के लिए पहली आईसीसी खिताबी हार थी।

उपलब्धि- इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज से 2-1 से आगे रही टीम इंडिया

जब इंग्लैंड भारत दौरे पर आयी थी तो टीम इंडिया के स्पिनर्स का बोल बाला था लेकिन जब भारत इंग्लैंड दौरे पर गई तो भारतीय पेसर्स ने टीम इंडिया को पहले लॉर्डस और फिर ओवल में टेस्ट जिताया जिसकी बदौलत टीम सीरीज में 2-1 से आगे रही। पांचवा टेस्ट कोरोना के कारण रद्द हो गया जो अब  अगले साल खेला जाएगा।

वैसे तो इस टेस्ट सीरीज का नतीजा निकलना बाकी है लेकिन सबसे बड़ी बात इस टेस्ट सीरीज में साबित हुई कि भारत में अपनी पेस बैट्री के दम पर लगातार टेस्ट सीरीज जिताने में सक्षम है। अब यह बीते दिनों की बात हो गई जब भारत सिर्फ अपने स्पिनर्स पर निर्भर होता था।

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