रणजी ट्रॉफी जीतने के बेहद करीब है म.प्र, पहली पारी में मुंबई से सिर्फ 6 रन पीछे

Webdunia
शुक्रवार, 24 जून 2022 (18:46 IST)
मध्य प्रदेश को पहली पारी में निर्णायक बढ़त लेने के लिए केवल सात रन की जरूरत है और अगर टीम की बल्लेबाजी चौथी पारी में बुरी तरह से लड़खड़ाती नहीं है तो खिताब उनकी झोली में होगा।

मध्य प्रदेश की टीम पिछली बार 1998-99 में रणजी फाइनल में पहुंची थी लेकिन तब उसे कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था।

दिन की शुरुआत एक विकेट पर 123 से करने के बाद मध्य प्रदेश के बल्लेबाजों ने तीसरे दिन धैर्य से खेलते हुए 245 रन बनाये लेकिन इस दौरान मुंबई के गेंदबाजों को विकेट के लिए तरसा दिया।

स्टंप्स के समय इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले रजत पाटीदार 106 गेंद में 13 चौकों की मदद से 67 और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव 33 गेंद में 11 रन बनाकर खेल रहे थे।

टीम की कोशिश अब अपनी बढ़त को इतना बढ़ाने पर होगी जहां से मुंबई को वापसी का मौका नहीं मिल सके।

चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच से गेंदबाजों को मदद मिलने का संकेत नहीं मिल रहा था। दिन में निकली तेज धूप ने बल्लेबाजों का काम और आसान कर दिया।

सबसे बड़ी निराशा मुंबई के बाएं हाथ के स्पिनर शम्स मुलानी (40 ओवर में एक विकेट पर 117) को हुई, जिन्होंने बहुत अधिक ढीली गेंदें फेंकी। अनुभवी धवल कुलकर्णी (21 ओवर में बिना सफलता के 51 रन) और तुषार देशपांडे (24 ओवर में 73 रन पर एक विकेट) ने भी औसत गेंदबाजी की ।

मुंबई के गेंदबाजों ने शुरुआती ओवरों में विकेट लेने की जगह मेडन ओवर डालने पर जोर दिया जिससे आधे घंटे के खेल के बाद दुबे और शुभम ने लय हासिल कर ली और आसानी से कवर ड्राइव लगाये।

इस टीम में रणजी चैम्पियन बनने के इकलौते अनुभवी खिलाड़ी कुलकर्णी ने लगातार ऑफ के काफी बाहर गेंद फेंकी। जिन्हें बल्लेबाजों ने विकेटकीपर के लिए छोड़ दिया।

मुलानी के क्रीज पर आते ही शुभम ने लांग ऑफ पर छक्का जड़ा, जिसके बाद कप्तान पृथ्वी साव के चेहरे पर निराशा देखी जा सकती थी।

दुबे ने इस सत्र में 613 जबकि शुभम ने 578 रन बनाये है। दोनों ने गेंद को बाउंड्री लगाने के साथ बीच-बीच में एक-एक रन चुराना जारी रखा। अपनी 222 रन की साझेदारी में दोनों ने 76 बार एक-एक रन लिये।

अरमान जाफर ने शाट प्वाइंट पर शुभम का कैच टपकाया लेकिन मोहित अवस्थी (20 ओवर में 53 रन देकर विकेट) के अलावा कोई प्रभावित नहीं किया।

मुंबई के खिलाड़ियों ने निराशा में कई बार आउट की अपील भी की। एक मौके पर कप्तान साव अंपायर विरेन्द्र शर्मा से कहने लगे कि गेंद बल्ले को छूकर निकली है, आपको सुनाई नहीं दिया। रिप्ले में हालांकि दिखा की गेंद बल्ले के दूर से निकली थी।

दुबे ने भी अपना शतक बनाने के बाद ‘सिद्धू मूसेवाला’ की तरह जांघ पर हाथ मारने के बाद अंगुली को आसमान की उठाकर जश्न मनाया जैसा की मुंबई के लिए सरफराज ने किया था। ऐसा लगा कि उनका यह जश्न मूसेवाला को श्रद्धांजलि देने की जगह सरफराज को जवाब दे रहा था।

शुभम अवस्थी का शिकार बने जबकि मुलानी ने दुबे को चलता किया। इसके बाद पाटीदार और श्रीवास्तव ने चौथे विकेट के लिए 72 रन की अटूट साझेदारी कर मुंबई की वापसी की कोशिश को विफल कर दिया।

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