चल गया उड़ने वाले विशाल डायनासोर का पता

Webdunia
गुरुवार, 12 सितम्बर 2019 (12:24 IST)
प्रतिकात्मक चित्र
कनाडा में रिसर्चरों ने ऐसे विशालकाय डायनासोर की किस्म का पता लगाया है जिसके पंख किसी विमान के डैनों जितने लंबे थे।
 
रिसर्चर इसे "फ्रोजन ड्रैगन ऑफ द नॉर्थ" कह रहे हैं और उड़ने वाले डायनासोरों की एक नई किस्म बता रहे हैं। नाम है - क्रायोड्रैकन बोरियास और इसकी खोज कनाडा में हुई है। टेरोसॉरस कुल के इस डायनासोर के पंखों की लंबाई आजकल के छोटे विमानों के पंखों जितनी रही होगी।
 
जर्नल ऑफ वर्टिब्रेट पेलिऑन्टोलॉजी नामक साइंस पत्रिका में छपे इस रिसर्च में बताया गया है कि इन डायनासोरों के पंखों की लंबाई 10 मीटर यानि 32.8 फीट के आसपास रही होगी और वजन करीब 250 किलोग्राम। खड़े होने पर इसकी लंबाई आज के जिराफ जितनी ऊंची होती होगी।
 
रिसर्च के मुख्य लेखक और लंदन की क्वीन मैरी यूनिव्रसिटी में रिसर्चर डेविड होन ने बताया कि क्रायोड्रैकन बोरियास का अर्थ होता है "उत्तर का जमा हुआ ड्रैगन।" कनाडा के उत्तरी ठंडे इलाके में स्थित होने के कारण इसे यह नाम दिया गया है।
 
इसके कंकाल के सबसे पहले नमूने आज से करीब 30 साल पहले अलबर्टा, कनाडा के डायनासोर प्रोविंशियल पार्क से मिले थे। लेकिन तब गलती से इसे उड़ने वाले डायनासोरों के कुल टेरोसॉरस में नहीं वर्गीकृत किया गया था।
 
एक बयान जारी कर रिसर्चर होन ने कहा, "यह शानदार है कि अब हम क्रायोड्रैकन का पहचान कर पाए और उसे क्वेट्जाल्कोएटलस से अलग रख पाए।" यह एक दूसरी किस्म का विशाल टेरोसॉरस था। होन ने कहा, "इसका मतलब हुआ कि अब हमारे पास उत्तरी अमेरिका में शिकारी टेरोसॉरस की क्रमिक विकास को समझने के लिए एक बेहतर तस्वीर है।"
 
क्रायोड्रैकन बोरियास धरती पर 7.7 करोड़ साल पहले रहा करते थे। माना जाता है कि ये मांसाहारी रहे होंगे और छिपकलियों, छोटे स्तनधारियों समेत छोटे डायनासोरों को भी खाते होंगे। उड़ने की क्षमता ऐसी थी कि वे चाहें तो उड़ कर समुद्र पार कर सकते होंगे। लेकिन रिसर्चरों को पता चला है कि इन्हें धरती पर ही रहना ज्यादा पसंद था।
 
इस स्टडी के सह-लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के रिसर्चर माइकल हबीब ने कहा, "डायनासोरों के युग में वे वैश्विक ईकोसिस्टम के अभिन्न अंग थे। इसलिए उस वक्त की पारिस्थितिकी और इनके गायब होने के समय से जुड़ी बातें समझने के लिए यह जरूरी हैं।"
 
कंकालों का अध्ययन करने वाले पेलिऑन्टोलॉजिस्ट का अनुमान है कि टेरोसॉरस की 100 से भी अधिक किस्में खोजी जा चुकी हैं और शायद कई और बाकी हैं।

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