बलदेव सिंह से जानिए पाकिस्तान से भागकर भारत में शरण मांगने की वजह

Webdunia
गुरुवार, 12 सितम्बर 2019 (12:14 IST)
पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के विधायक रह चुके बलदेव कुमार एक महीने से भारत में हैं और अपने परिवार समेत शरण की मांग कर रहे हैं। डीडब्ल्यू ने बलदेव कुमार से पूछी इसकी वजह।
 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बारीकोट से विधायक रह चुके सिख नेता बलदेव कुमार बीते एक कई हफ्तों से भारत के पंजाब में अपने ससुराल वालों के पास रह रहे हैं। इस 43 वर्षीय नेता के पास तीन महीने का भारत का वीजा है, जो उन्होंने अपनी 12 साल की बेटी के इलाज के नाम पर लिया था। उनकी बेटी थैलासीमिया की गंभीर मरीज है। लेकिन कुमार की लड़ाई एक दूसरे स्तर पर भी जारी है। उनका कहना है कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षित देश है और इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार उनके साथ बुरा बर्ताव कर रही है। डीडब्ल्यू ने कुमार से इस बारे में की विस्तार से बातचीत।
 
डीडब्ल्यू: क्या आपने भारत में शरण मांग कर बहुत बड़ा जोखिम नहीं उठाया है? इस कदम को उठाने की आपकी वजह क्या थी?
 
बलदेव कुमार: पाकिस्तान में कितने ही सिख अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। मैंने जोखिम उठाया है लेकिन नपातुला। इसीलिए पाकिस्तान से निकलने की मैंने योजना बनाई। मेरे भाइयों को चिंता थी कि मैं सही सलामत यह यात्रा कर भी पाउंगा, कहीं मारा ना जाऊं। आशा करता हूं कि इस यात्रा का कुछ मतलब बने और मैं दूसरे सिख परिवारों की व्यथा को सबके सामने ला सकूं।
 
जब से इमरान खान प्रधानमंत्री बने हैं तब से चीजें खराब हो गईं। वे तो केवल दूसरों के हुक्म बजाने वाली कठपुतली हैं। वहां के तमाम अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सुरक्षा एक बड़ी चिंता है। लोगों को अगवा किए जाने, जबरन धर्मांतरण करवाए जाने से डर का माहौल और बढ़ गया है।
 
डीडब्ल्यू: क्या आपने पाकिस्तान इसलिए छोड़ा क्योंकि आप हत्या के एक मामले में आरोपी बनाए गए थे?
 
यह सच नहीं है। सन 2016 में सूरन सिंह की हत्या हुई, जो कि तब मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार और प्रांतीय असेंबली के सदस्य थे। मुझ पर उस मर्डर केस से जुड़े होने के झूठे आरोप लगे और 2018 में मुझे इससे मुक्त भी कर दिया गया। मुझे नहीं पता कि उनका परिवार मेरे बारे में क्या सोचता है लेकिन मुझे कोर्ट ने रिहा किया। बल्कि सरकार के ऊपर मेरे उन दो सालों का मेहनताना अब भी बकाया है। बिना वजह उन्होंने मेरी कमाई भी रोक कर रखी हुई है।
 
डीडब्ल्यू: क्या आपने ऐसा कुछ झेला है जिससे पता चले कि पाकिस्तान में सिख और दूसरे अल्पसंख्यकों को लेकर आपका डर जायज है?
 
पाकिस्तान में सिखों की आबादी घटती जा रही है। उनकी संख्या में इतनी तेजी से कमी आई है कि दो दशक में ही वे 50,000 से घट कर केवल 8,000 रह गए हैं। देश में जबरन धर्म बदलवाए जाने जैसी बहुत सी चीजें हो रही हैं। इसके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं चल पाता। हाल ही में 3 सितंबर को भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक सिख लड़की को कथित तौर पर अगवा कर इस्लाम कबूल करवाया गया। वह लड़की एक ग्रंथी (सिख धर्म में पुजारी) की बेटी थी। एक हफ्ते के भीतर ऐसी दूसरी घटना का पता चला। सिंध और खैबर पख्तूनख्वाह प्रांतों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। मुझे वहां अपनी जान का डर है और इसीलिए मैंने पाकिस्तान छोड़ा।
 
डीडब्ल्यू: अब आप आगे क्या करने वाले हैं?
 
मेरी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से गुजारिश है कि वीजा शर्तों में थोड़ी ढील दें ताकि पाकिस्तान में जो लोग कष्ट झेल रहे हैं वे भारत आकर रह सकें। वहां जो हो रहा है वो बहुत ज्यादा दुखद है। मैं उन लोगों की परेशानियां सबके सामने रखना चाहता हूं।
 
मैं आशा करता हूं कि मुझे भारत में रहने दिया जाएगा। मेरे पास पाकिस्तान वापस लौट कर जाने का कोई रास्ता नहीं है। मैं ऐसा कर ही नहीं सकता और ना ही ऐसा करना चाहता हूं। मुझे भारत में पनाह चाहिए।
 
इंटरव्यू: मुरली कृष्णन
अनुवाद: ऋतिका पाण्डेय

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