गाली देने वाली बतख का रहस्य

DW
बुधवार, 8 सितम्बर 2021 (16:36 IST)
वैज्ञानिकों को ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसी बतख मिली है जिसने कई तरह की आवाजों को याद कर लिया था और उनकी नकल कर सकती थी। इन आवाजों में एक दरवाजे के बंद होने की आवाज के साथ साथ इंसानी भाषा में गाली देना भी शामिल है। संभव है कि अलग-अलग ध्वनियों और शब्दों को याद कर उन्हें सुना देने की प्रतिभा पर तोतों के एकाधिकार को चुनौती मिले। हालांकि इस अनोखे बतख को 1987 की एक रिकॉर्डिंग में देखा गया है, लेकिन इसकी काबिलियत नायाब है।
 
रिपर नाम का यह बतख मस्क बतख प्रजाति का था और यह खाने की चीजें मांगने से आगे भी बहुत कुछ 'कह' सकता था। इसे खोज निकाला है बायोलॉजिस्ट कैरेल टेन केट ने। कैरेल का कहना है कि उन्होंने जब यह दावा सुना कि मस्क बतख इंसानी भाषा की नकल कर सकते हैं तो उन्हें यह 'मानने में कठिनाई' हुई।
 
मैथुन से संबंध
 
लेकिन उन्होंने इस दावे का सच पता लगाने की ठानी और पुरानी रिकॉर्डिंगों को खंगालने लगीं। घंटों खोजने के बाद उन्हें रिपर की 1987 की एक रिकॉर्डिंग मिली जिसमें यह बतख बार-बार 'यू ब्लडी फू' (तुम मूर्ख हो) कह रहा था। रिपर 'फूल' के अंत में आने वाले 'ल' का उच्चारण नहीं कर पा रहा था, क्योंकि बतखों के लिए इस अक्षर की ध्वनि निकालना मुश्किल होता है। रिपर इंसानी हाथों में पला-बढ़ा था और रिकॉर्डिंग के समय 4 साल का था।
 
हाल ही में विज्ञान की पत्रिका 'फिलोसॉफिकल ट्रांजेक्शंस ऑफ द रॉयल सोसाइटी' में छपे एक अध्ययन के मुताबिक रिपर यह ध्वनियां मैथुन के संकेतों के साथ निकालता था। मैथुन के समय एक नर मस्क बतख सामान्य रूप से प्रतिद्वंद्वियों को भगाने के लिए लात मारने के साथ साथ बार-बार कुछ आवाजें निकालता है।
 
बचपन में सीखना
 
ऐसे में वो अपनी पूंछ को भी अलग-अलग मुद्राओं में रखता है। अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि रिपर की रिकॉर्डिंग करने वाले पीटर फुलगर जान-बूझकर उसके पिंजरे के पास पहुंच कर उसे 'गुस्सा' दिला रहे थे। उनके ऐसा करने पर रिपर अपना डांस शुरू करता था, लेकिन बतखों वाली सामान्य आवाजें निकालने की जगह गाली बकने लगता था। उसकी प्रतिभा इसके आगे भी थी। फुलगर ने उसे एक दरवाजे के जोर से बंद होने की आवाज की नकल करते हुए भी रिकॉर्ड किया था।
 
सोनोग्राम विश्लेषण से पता चला कि यह ध्वनि उस ध्वनि से बहुत मिलती-जुलती थी, जो रिपर के बचपन में उसके रहने की जगह के पास के एक दरवाजे से निकलती थी। कैरेल का कहना है कि रिपर का उन आवाजों की नकल करना जो उसने संभवतः अपने बचपन में सुनी थीं, शोध का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है।
 
हाथियों की क्षमता
 
उन्होंने बताया कि रिपर ने जो स्वर संबंधी क्षमता दिखाई, अभी तक ऐसा माना जाता था कि वो सिर्फ सॉन्गबर्ड, हमिंगबर्ड और तोतों में होती है। रिपर पर यह अध्ययन पत्रिका के जिस अंक में छपा है, वो पशुओं की विशेष स्वर संबंधी क्षमताओं पर एक विशेष अंक है। इसमें हाथियों, डॉलफिन और सील द्वारा निकाली जाने वाली आवाजों के बारे में भी बताया गया है।
 
बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और ऑस्ट्रिया में वयस्क अफ्रीकी हाथियों पर किए गए शोध में इशारे पर चिंघाड़ने और हांफने की विशेष आवाजें निकालने की उनकी क्षमता के बारे में बताया गया है। जबू नाम का एक नर हाथी तो 100 प्रतिशत शुद्धता के साथ इशारा करने पर  7 अलग-अलग आवाजें निकाल सकता है। उसने यह आवाजें निकालना अपने बचपन में सीखना शुरू किया था।
 
अध्ययन में यह भी बताया गया कि जिन हाथियों ने वयस्क हो जाने के बाद यह सीखा, वो भी 80 प्रतिशत शुद्धता के साथ इशारों पर आवाजें निकाल पा रहे थे, जो हाथियों में इशारे पर ध्वनि निकालना सीखने की एक पेचीदा स्तर की क्षमता का संकेत है।
 
सीके/वीके (एएफपी)

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