कांग्रेस की भाजपा के गढ़ भोपाल को धराशायी करने की तैयारी, दिग्गी पर लगा सकती है दांव

Webdunia
मंगलवार, 19 मार्च 2019 (12:21 IST)
भोपाल। तीन दशक से जीत के लिए तरस रही कांग्रेस इस बार भाजपा के मजबूत गढ़ों में से एक भोपाल संसदीय क्षेत्र में सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है और इसके लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश की जा रही है। इसी कोशिश के चलते कांग्रेस का प्रदेश संगठन पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को इस सीट से लड़ाने का प्रयास कर रहा है।

राज्य के सबसे चर्चित और हाईप्रोफाइल संसदीय क्षेत्र भोपाल पर रियासतकाल में एक समय बेगमों का एकछत्र राज रहा है। मध्यप्रदेश निर्माण के बाद से अब तक दो महिलाओं मैमूना सुलतान और उमा भारती को लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है। इस सीट से डॉ. शंकरदयाल शर्मा भी दो बार विजयी रहे, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने। 
 
झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध भोपाल संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में भाजपा के आलोक संजर सांसद हैं, जिन्होंने वर्ष 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा को लगभग साढ़े तीन लाख मतों से पराजित किया था। 'लो प्रोफाइल' में रहकर कार्य करने वाले संजर को वर्ष 2014 में टिकट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की लड़ाई के चलते उम्मीदवार बनाया गया और वह आसानी से इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी होने के नाते विजयी रहे। वहीं कांग्रेस नेता शर्मा तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से विधायक चुने गए और वे कमलनाथ सरकार में जनसंपर्क मंत्री हैं।
 
राज्य में पंद्रह वर्षों बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ है, इस नाते मुख्यमंत्री की कोशिश है कि भोपाल समेत भाजपा के प्रमुख गढ़ों में कांग्रेस फिर से अपना परचम लहराने में कामयाब हो सके। इसी कोशिश के चलते कांग्रेस का प्रदेश संगठन पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को इस सीट से लड़ाने का प्रयास कर रहा है।
 
ऐसी चर्चा है कि सिंह से भोपाल या फिर इंदौर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, हालांकि वे स्वयं अपने परंपरागत राजगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
 
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को छिंदवाड़ा में मीडिया से कहा कि सिंह से राज्य की उन दो तीन सीटों से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, जहां से कांग्रेस 30-35 सालों से विजय नहीं हुई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बार राज्य में कांग्रेस 29 में से कम से कम 20 सीटों पर चुनाव जीतने की रणनीति बनाकर कार्य कर रही है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय के शिल्पकार रहे कमलनाथ स्वयं इस रणनीति पर बारीकी से नजर रखकर कार्य कर रहे हैं।
 
कांग्रेस जहां एक ओर भाजपा के अभेद्य माने जा रहे गढ़ भोपाल में सेंध लगाने को आतुर है, वहीं भाजपा को उम्मीद है कि उनकी पार्टी का प्रत्याशी यहां से लगातार नौवीं बार जीत हासिल कर इस गढ़ को सुरक्षित रखेगा। पिछले तीन दशकों के चुनाव नतीजों के चलते माना जाता है कि भोपाल से भाजपा किसी भी नेता को प्रत्याशी बना दे, उसकी जीत सुनिश्चित है। तीस सालों में कांग्रेस ने तरह-तरह की रणनीति अपनाई, लेकिन वह भाजपा को डिगा नहीं पाई। 
 
संसदीय आंकड़ों पर नजर डालें तो 1957 में यहां से कांग्रेस की मैमूना सुल्तान सांसद चुनी गईं। उन्हें 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत मिली। इसके बाद 1967 में यहां से भारतीय जनसंघ के जेआर जोशी जीते लेकिन 1971 में शंकरदयाल शर्मा ने यह सीट फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी। कांग्रेस विरोधी लहर के चलते 1977 में जनता दल के आरिफ बेग यहां से जीते तो 1980 में शंकरदयाल शर्मा दो बार लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1984 में कांग्रेस के केएन प्रधान सांसद बने।  
 
इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। वर्ष 1989 से 1999 तक चार बार यहां से भाजपा के सुशीलचंद्र वर्मा सांसद रहे। साल 1999 में यहां से भाजपा की उमा भारती सांसद चुनी गईं। वर्ष 2004 में भाजपा ने यहां से कैलाश जोशी पर दांव खेला, जो 2014 तक भोपाल के सांसद रहे। वर्ष 2014 के आम चुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर आलोक संजर सांसद चुने गए।
 
भोपाल संसदीय क्षेत्र में भोपाल की सातों विधानसभा सीटों के अलावा सीहोर विधानसभा भी शामिल है। इनमें से पांच पर भाजपा का और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। भोपाल में छठवें चरण में 12 मई को मतदान होगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

एप्पल, फेसबुक, गूगल, टेलीग्राम के 16 अरब यूजरनेम और पासवर्ड लीक, बचना है तो तुरंत यह करें

Nitin Gadkari : असली फिल्म अभी आना बाकी, नितिन गडकरी ने किया 2029 के आम चुनाव के प्लान का खुलासा

पुरानी बीवी लाए, नई ले जाए, ये विज्ञापन सोशल मीडिया में मचा रहा है धूम, ऑफर में होम सर्विस सुविधा भी

बिहार सरकार ने वृद्धावस्था व विधवा पेंशन में की बढ़ोतरी, अब मिलेंगे 400 की जगह 1100 रुपए प्रतिमाह

इजराइल या ईरान: किसकी करेंसी है ज्यादा ताकतवर?, जानें करेंसी का शहंशाह कौन है?

सभी देखें

नवीनतम

ईरानी परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले के बाद बोले नेतन्याहू, शक्ति से ही शांति आती है

LIVE: ट्रंप बोले, अमेरिका ने बड़ा हमला किया, ईरान के 3 परमाणु ठिकाने बर्बाद

ईरान के 3 परमाणु साइट्स पर अमेरिका का हमला, 30 टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल

Weather Update : राजस्थान में भारी बारिश, 3 लोगों की मौत, बिहार में बाढ़ जैसे हालात

Delhi : पहली कक्षा में एडमिशन को लेकर होगा बदलाव, अगले सत्र से लागू होगा यह नया नियम

अगला लेख