लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश मेंं भाजपा की प्रचंड जीत के 5 बड़े कारण

विकास सिंह
शुक्रवार, 7 जून 2024 (13:45 IST)
लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। 40 सालों में पहली बार है कि भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा ने इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर भी जीत हासिल कर कांग्रेस के इस अभेद् दुर्ग में भी सेंध लगा दी। प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 25 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार 1 लाख से अधिक वोटों से जीते हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत के एक नहीं कई कारण है।

1-मोदी का चेहरा और 'एमपी के मन में  मोदी' कैंपेन-लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा। ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ और ‘एमपी के मन में मोदी’ के चुनावी नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी भाजपा ने अपना पूरा कैंपेन नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही रखा। ऐसी लोकसभा सीटें जहां भाजपा के प्रत्याशी कमजोर स्थिति में नजर आ रहे थे वहां पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा करके खुद को चेहरे के तौर पर प्रस्तुत किया है और कहा कि आपका एक-एक वोट सीधे मोदी को जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बयान मुरैना लोकसभा सीट पर चुनावी रैली के दौरान दिया था। नतीजें बताते है कि मुरैना में कड़े मुकाबले में भाजपा ने 40 हजार से अधिक वोटों से भाजपा को जीत हासिल हुए। नरेद्र मोदी के चेहरे ने मध्यप्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को प्रो इनकंबेंसी में बदल दिया। भाजपा की सफलता का श्रेय मुख्य रूप से शहरी मध्यम वर्ग के मतदाताओं के बीच उसके मजबूत समर्थन आधार और 'मोदी प्रभाव' को दिया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील, खास तौर पर शहरी इलाकों में, मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में झुकाने में एक प्रमुख कारक रही.

2-बूथ स्तर पर भाजपा की प्रभावी चुनावी रणनीति- मध्यप्रदेश जो भाजपा के गढ़ के रूप में पहचाना जाता है वहां पर भाजपा ने बूथ स्तर पर मजबूत चुनावी रणनीति तैयारी की। गृहमंत्री अमित शाह ने बूथ जीतो चुनाव जीतो के चुनावी मंत्र पर मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन ने ऐसी व्यूररचना तैयार की जिसको  विपक्ष भेद नहीं सका। मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश के 65 हजार से अधिक बूथों के डिजिटाइलेशन का काम किया है और चुनाव में भाजपा को इसका सीधा लाभ मिला।

वहीं लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में जब प्रदेश में कम मतदान हुआ तो खुद गृहमंत्री अमित शाह अचानक भोपाल पहुंचे और दो टूक शब्दों में पार्टी के नेताओं को अपना फरमान सुना दिया। पार्टी ने आदिवासी क्षेत्रों पर फोकस करने के साथ उन सीटों पर खासा फोकस किया जहां पार्टी को शंका थी। इसमें छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को भाजपा ने जो अचूक रणनीति तैयार की उसकी काट न तो कमलनाथ और न कांग्रेस ढूंढ सकी।

3-लाड़ली बहना और लाभार्थी वोटर्स विनिंग फैक्टर-लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत का बड़ा कारण लाडल़ी बहना और लाभार्थी वोटर्स रही। विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर बनी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना लोकसभा चुनाव में भी गेमचेंजर नजर आई। प्रदेश की डेढ़ करोड़ के करीब लाड़ली बहना योजना के लाभार्थी महिलाओं ने एक तरफा भाजपा के पक्ष में मतदान किया। सभी 29 लोकसभा सीटों पर लाभार्थी वोटर्स और महिला वोटर्स का भाजपा की तरफ एक तरफ झुका है। वहीं प्रदेश में मुफ्त राशन और प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्जवला जैसी योजना के लाभार्थियों का भाजपा के पक्ष में एकजुट होना भी एक बड़ा कारण है। 

4--भाजपा का टिकट वितरण- लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश भाजपा की क्लीन स्वीप का बड़ा कारण टिकट वितरण भी रहा है। भाजपा ने बिना विरोध और भीतरघात की परवाह किए बिना इंटरनल सर्वे के आधार पर टिकट का वितरण किया। ग्वालियर में भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट काटकर पार्टी के मूल कार्यकर्ता भारत सिंह कुशवाह को चुनावी मैदान में उतारा है और उन्होंने सत्तर हजार से अधिक वोटों से बड़ी जीत हासिल की है। इसके साथ पार्टी ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी गणेश सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते जैस चेहरों को दोबारा चुनावी मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की।

5-भाजपा का अक्रामक चुनावी कैंपेन?- लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अक्रामक चुनावी कैंपेन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरी पार्टी ने बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियों के साथ सोशल मीडिया पर अक्रामक चुनावी कैंपेन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां की। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ऐसी सीटों पर फोकस किया जहां पार्टी की स्थिति कमजोर नजर आई। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछड़ा बाहुल्य क्षेत्रों के साथ यादव बाहुल्य क्षेत्रों पर फोकस किया और इसका सीधा फायदा पार्टी  को मिला।

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