भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठियां भांजी। दरअसल, कोरोना काल में अपनी सेवाएं देने वाले ये योद्धा अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों में शामिल चंदा राठौर ने मीडिया को बताया कि उन्हें स्टाफ नर्स के लिए 3 महीने के लिए रखा गया था। मध्यप्रदेश शासन ने कुल 6213 कर्मचारियों को कोरोना के दौरान रखा था। इनमें स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट समेत अन्य स्टाफ शामिल था। अब ये सभी कर्मचारी नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों को सिर्फ एक दिन की अनुमति दी थी जबकि आज गैस पीड़ित संगठनों को प्रदर्शन के लिए वह जगह दी गई थी। ऐसे में पुलिस के जबरन हटाने के कारण प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए तो पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने उन पर जमकर लाठियां भांजी, महिलाओं को भी नहीं बख्शा।
लाठीचार्ज में महिलाओं समेत 15 से अधिक लोगों को चोटें आई हैं, जबकि करीब 15 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
मध्यप्रदेश के पूव मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा- जहां एक तरफ़ विश्वभर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीक़े से लाठियां बरसा रही हैं, यह घटना बेहद निंदनीय व मानवीयता व इंसानियत को शर्मसार करने वाली है।
उन्होंने कहा कि कोरोना की इस भीषण महामारी में अपनी जान जोखिम में डाल सेवाएं देने वाले कोरोना वॉरियर्स भोपाल में अपनी जायज़ मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे तब उन्हें न्याय दिलवाने की बजाय उन पर बर्बर तरीक़े से लाठीचार्ज किया गया। जो सम्मान के हक़दार उनसे अपराधियों की तरह व्यवहार?