Mahabharat 6 May Episode 79-80 : भीष्म का वध, युधिष्ठिर को बंदी बनाने की चाल

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 6 मई 2020 (20:12 IST)
बीआर चौपड़ा की महाभारत के 6 मई 2020 ( Mahabharat 6 May Episode 79-80 ) के सुबह और शाम के 79 और 80वें एपिसोड में भीष्म का वध, दुर्योधन की चाल और द्रोण की विफलता के साथ ही कई रोचक घटनाएं बताई जाती हैं।

बीआर चोपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह आप स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें... वेबदुनिया महाभारत
 
 
दोपहर के एपिसोड में अर्जुन अपने रथ पर सवार शिखंडी से कहता है कि वो रहा पितामह का ध्वज। फिर वे श्रीकृष्ण से कहते हैं कि रथ पितामह की ओर ले चलिए।
ALSO READ: Mahabharat 5 May Episode 77-78 : जब श्रीकृष्ण मारने दौड़े भीष्म को तो अर्जुन गिर पड़े चरणों में
शिखंडी और अर्जुन मिलकर भीष्म पितामह के ऊपर वाण चलाते हैं। फिर पितामह जब वाण चलाते हैं तो शिखंडी अर्जुन को अपनी पीठ पीछे छुपा लेता है। यह देखकर भीष्म धनुष पर चढ़ा अपना तीर कहीं ओर चला देते हैं। तभी अर्जुन तीर छोड़ता है जो सीधा भीष्म पितामह के पेट को चीरता हुआ पीठ के पार निकल जाता है। यह देखकर अभिमन्यु, अश्वत्‍थामा, शकुनि, युधिष्ठिर, द्रोण आदि सभी स्तब्ध रह जाते हैं। तभी अर्जुन रोते हुए दूसरा, तीसरा और चौथा तीर छोड़ते हैं जो सभी उनकी छाती में जाकर धंस जाते हैं। उधर, भीष्म कहते हैं आयुष्मान भव पुत्र आयुष्मान भव। यह सुनकर अर्जुन रोते हुए भीष्म पितामह का शरीर तीरों से छलनी कर देता है।
 
भीष्म कहते हैं यशस्वी भव। बधाई हो आचार्य द्रोण तुम्हारे शिष्य ने मेरी छाती छलनी कर दी। यह कहते हुए भीष्म पितामाह रथ से गिर पड़ते हैं। अर्जुन रोते हुए चीखता है पितामह। यह देखकर शिखंडी के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है और श्रीकृष्ण उदास हो जाते हैं। यह दृश्य देखकर युद्ध रुक जाता है।
ALSO READ: Mahabharat 4 May Episode 75-76 : महाभारत युद्धारंभ, पांडवों के शिविर में चिंता की लहर
भीष्म अपनी शक्ति बटोरकर फिर खड़े होते हैं हाथों में तलवार और ढाल लेकर, लेकिन अर्जुन तीर चलाकर ढाल को गिरा देता है। फिर वह पैर, घुटने और जंघाओं पर तीर चलाकर उन्हें छेद देता है। अर्जुन रोते हुए चीखता जाता है पितामह पिताहम और तीर चलाता जाता है। लेकिन भीष्म गिरते हुए फिर छाती तानकर खड़े हो जाते हैं। अंत में वे पीठ के बल गिर पड़ते हैं।
 
सभी योद्धा अपने अपने रथ से उतरकर भीष्म पितामह के पास पहुंचते हैं। सभी उनके आसपास खड़े हो जाते हैं। तभी भीष्म कहते हैं कि मेरे सिर को सहारा चाहिए। तब दुर्योधन कहता है कि दु:शासन तकिया लेकर आओ। उनके लिए तकिए लाए जाते हैं तो भीष्म कहते हैं कि ये सिरहाने वीर शैया के योग्य नहीं, जिसने मुझे शैया दी है वही मुझे सिरहाने दें। अर्जुन को बुलाओ। 
 
अर्जुन रोते हुए कहता हैं जो आज्ञा पितामह। तब अर्जुन तीरों का तकिया बनाते हैं। फिर भीष्म कहते हैं कि मुझे प्यास भी लगी है पुत्र। तब अर्जुन रोते हुए भूमि में तीर चला देता है। भूमि में से गंगा का जल फूट पड़ता है जो सीधा उनके मुख में जाता है। तभी माता गंगा प्रकट होकर अपने पुत्र के पास बैठ जाती है। भीष्म जैसे तैसे उन्हें प्रणाम कहते हैं।
ALSO READ: Mahabharat 28 April Episode 63-64 : फैसला कौन करता है नारायणी सेना या श्री कृष्ण?
फिर श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमें उनके अंतिम क्षणों में उन्हें अकेला छोड़ देना चाहिए। दुर्योधन करते हैं इन्हें छोड़ कैसे दें? ये हमारे पितामह हैं। तब भीष्म कहते हैं कि पितामह तो मैं पांडवों का भी हूं दुर्योधन, मुझे अकेला छोड़ दो। तब सभी उन्हें प्राणाम करके वहां से चले जाते हैं। अंत में श्रीकृष्ण और भीष्म का संवाद होता है। गंगा और गंगा पुत्र ही रह जाते हैं। तब गंगा माता कहती है पुत्र अब चलो। भीष्म कहते हैं कि अभी कैसे चलूं माते। गंगा चली जाती है। 
 
रात्रि में अर्जुन पितामह भीष्म से मिलने आते हैं और उनके पास बैठकर रोते हैं। भीष्म उन्हें सांत्वना देते हैं। अर्जुन कहते हैं कि यह वीरता नहीं कायरता थी पितामह कि मैंने शिखंडी के पीछे खड़े रहकर बाण चलाए। धिक्कार है मेरी वीरता पर। मैं इसके लिए खुद को कभी क्षमा नहीं करूंगा पितामह। पितामह कहते हैं कि मेरे पास भी तो इच्छामुत्यु का कवच था शिखंडी की तरह। पलड़ा बराबर हो गया था। इसलिए रोकर अपनी विजय का अपमान मत करो। अर्जुन पितामह का मुकुट लेकर वहां से चला जाता है।
ALSO READ: Mahabharat 24 April Episode 55-56 : महाभारत में जब यक्ष ने मारे 4 पांडव
इधर, विदुर यह घटना कुंती को सुनाते हैं। विदुर बहुत रोते हैं। कुंती यह समाचार सुनकर गांधारी और धृतराष्ट्र के पास पहुंचती है। तीनों इस घटना पर चर्चा करते हैं। धृतराष्ट्र कहते हैं कि अर्जुन तो युद्ध के लिए तैयार ही नहीं था लेकिन आपके भतीजे श्रीकृष्ण ने उसे भड़काया। दोनों के बीच वाद-विवाद होता है।
 
इधर युद्ध शिविर में दुर्योधन, शकुनि, दु:शासन और कर्ण द्रोण को कहते हैं कि आज से आप कौरवों की सेना के प्रधानसेनापति होंगे। वे कर्ण से कहते हैं कि कौरव सेना में तुम्हारा स्वागत है। अंत में ‍भीष्म पितामह से मिलने के लिए कर्ण रात्रि में जाते हैं और उनसे अपने किए अपराधों की क्षमा मांगते हैं। भीष्म उन्हें कुंती पुत्र कर्ण कहकर संबोधित करते हैं और कहते हैं कि यह तुम भी जानते हो। कर्ण कहता है कि यदि आप यह जानते थे तो मुझे आपके ध्वज तले युद्ध क्यों नहीं करने दिया? भीष्म उन्हें कारण बताते हैं।
 
शाम के एपिसोड में रात्रि के समय तीरों की शैया पर पड़े भीष्म से मिलने के लिए द्रौपदी कुछ महिलाओं के साथ आरती की थाली लेकर पहुंचती हैं। भीष्म उन्हें आशीर्वाद देकर कहते हैं कि तुम सदैव सम्मानीय आदरणीय रहोगी पुत्री। फिर द्रौपदी अभिमन्यु की वधू उत्तरा को भीष्म से मिलती हैं। तब भीष्म अभिमन्यु की तारीफ करते हैं। भीष्म संकेतों में समझाते हैं कि तेरे पति की आयु कम है।
ALSO READ: Mahabharat 30 April Episode 67-68 : संजय को इस तरह मिली दिव्य दृष्टि
अंत में सभी महिलाएं भीष्म की प्रदक्षिणा करके उन्हें फूल चढ़ाती हैं। जब सभी जाने लगती है तो दुर्योधन मार्ग में खड़ा मिलता है। दोनों के बीच वाद-विवाद होता है। फिर दुर्योधन पितामह के पास कुछ सैनिकों के साथ पहुंचता है और कहता हैं कि पितामह के चारों ओर भूमि को खोद दिया जाए और भूमि के इस टूकड़े को युद्ध भूमि से बाहर रख दिया जाए।
 
युद्ध शिविर में दुर्योधन, शकुनि आदि से कहता है कि द्रोण भी अर्जुन का वध नहीं करेंगे तो हम उनसे कहेंगे कि वे युधिष्ठिर को बंदी बना लें। दूसरी ओर अश्वथामा कृपाचार्य और द्रोण से कहता है कि पांडवों का वध करना मेरा सैनिक कर्तव्य है। तभी वहां दुर्योधन पहूंच जाता है और वह कहता है कि यदि आप युधिष्ठिर को बंदी बनाकर मुझे सौंप दें तो मैं युद्ध विराम कर दूंगा। द्रोण कहते हैं कि किंतु तुम युधिष्ठिर को मृत्युदंड तो नहीं दोगे? दुर्योधन कहता है कि नहीं। तब द्रोण कहते हैं कि मैं समझ गया मतबल तुम युधिष्ठिर को बंदी बनाकर पांडवों को पराजित कर दोगे और उन्हें उनका राज्य लौटा दोगे। दुर्योधन इसके लिए हां भर देता हैं। तब द्रोण युधिष्ठिर को बंदी बनाने का वचन देते हैं।
 
इधर, पांडवों के प्रधानसेनापति धृष्टद्युम्न के पास गुप्तचर के माध्यम से यह खबर पहुंच जाती है। धृष्टद्युम्न ये खबर लेकर पांडवों के पास जाते हैं। श्रीकृष्ण बताते हैं कि आचार्य द्रोण को युद्ध भूमि से हटाना तो पितामह से भी कठिन है। वे तो ये भी नहीं बताएंगे कि उन्हें किस तरह हटाया जाए। उन्हें हटाने का उपाय तो हमें ही सोचना पड़ेगा। श्रीकृष्ण धृष्टद्युम्न से कहते हैं कि आप बड़े भैया की सुरक्षा का प्रबंध कीजिए।
ALSO READ: Mahabharat 1 May Episode 69-70 : दुर्योधन का कपट और शिखंडी का रहस्य उजागर
अगले दिन युद्ध प्रारंभ होता है। द्रोण पांडव सेना में हाहाकार मचा देते हैं। युधिष्ठिर यह देखकर अर्जुन और भीम से कहते हैं कि यहां मुझे घेरे क्या खड़े हो जाओ आचार्य द्रोण को रोकने का प्रयास करो। तब अर्जुन कहता है कि प्रधानसेनापति ने आज हमें आपके पास रहने का आदेश दिया है। युधिष्ठिर कहते हैं कि तो फिर मेरा आदेश सुनो, जाओ युद्ध करो। फिर अर्जुन कर्ण से लड़ने के लिए चला जाता है, लेकिन भीम नहीं जाता है। द्रोण कई बार युधिष्ठिर को बंदी बनाना का प्रयास करते हैं लेकिन इस प्रयास को अर्जुन विफल कर देता है।
 
फिर रात्रि में स्वर्ग से भीष्म के‍ पिता शांतनु उनसे मिलने आते हैं और भीष्म को प्रणाम करते हैं। भीष्म यह देखकर भावुक हो जाते हैं। दोनों के बीच संवेदनशील संवाद होता है। अंत में द्रोण मिलने जाते हैं। बातों ही बातों में द्रोण कहते हैं कि हे महापुरुष मुझे आपसे पहले जाना है इसलिए इस ब्राह्मण का आपको अंतिम प्रणाम।
 
बीआर चोपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह आप स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें... वेबदुनिया महाभारत
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख