बापू और उनके पुत्र के बीच इतने गंभीर मतभेद क्यों थे?

Webdunia
महात्मा गांधी और उनके बड़े पुत्र हरिलाल के संबंधों में खटास का एक प्रमुख कारण कस्तूरबा के प्रति गांधीजी का व्यवहार था।  
 
प्रख्यात इतिहासकार रामचंद्र गुहा की प्रकाशित पुस्तक 'गांधी- भारत से पहले' में दावा किया गया है और कहा है कि हरिलाल ने गांधीजी पर कस्तूरबा को बिना उनकी मर्जी के टालस्टॉय फार्म भेजने का आरोप लगाया था। हरिलाल को गांधीजी का 'खोया हुआ धन' कहा जाता है। पिता पुत्र के बीच मतभेद हरिलाल की किशोरावस्था से ही उभरने लगे थे। पुस्तक का प्रकाशन पेंग्विन इंडिया ने किया है।
 
मार्च 1910 के आखिरी महीनों में गांधीजी और हरिलाल के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे। गांधीजी चाहते थे कि हरिलाल दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह में हिस्सा लें और जेल जाए जबकि हरिलाल अपनी पत्नी चंची और बेटी के साथ भारत लौटना चाहते थे। गांधीजी ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा,'हम गरीब है और इस तरह से पैसे खर्च नहीं कर सकते। उससे तो बड़ी बात यह है कि जो इंसान सत्याग्रह का हिस्सा है वो यूं ही तीन महीने के लिए बाहर नहीं जा सकता।' पुस्तक के अनुसार हरिलाल ने गांधीजी की बात मान ली लेकिन उनपर मनमर्जी करने का आरोप लगाया। 
 
हरिलाल ने गांधीजी पर आरोप लगाते हुए कहा,-'कस्तूरबा फीनिक्स में ही रहना चाहती थीं।' 
 
गुहा ने पुस्तक में लिखा है कि इस घटना के बाद गांधीजी और हरिलाल के बीच मतभेद इतने गहरा गए कि दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई और दोनों के बीच संवाद के लिए मगनलाल का सहारा लेना पड़ा। मगनलाल गांधीजी के भतीजे थे। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका। 
 
इसके बाद हरिभाई किसी से कुछ पैसे उधार लेकर गांधीजी को बिना बताए भारत के लिए जहाज पकड़ने निकल पड़े। उन्होंने गांधीजी के एक साथी जोसफ रोयप्पन से कहा कि भारत वापस जाकर वह अहमदाबाद की बजाय पंजाब में कहीं बसना चाहते हैं। पुस्तक में इस संबंध में कहा गया है,'ऐसा शायद इसलिए है कि पंजाब उस वक्त राष्ट्रवाद का केंद्र बिंदु था या फिर इसलिए भी क्योंकि वहां गांधी किसी को जानते नहीं थे जिससे वे हरिलाल पर नजर रख पाते और हरिलाल बिना किसी बाधा के अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर पाते।'
 
गांधीजी ने अपने प्रति हरिलाल के विचारों का जिक्र मगनलाल को लिखे एक पत्र में किया है। गांधीजी ने कहा है,“उसे (हरिलाल)लगता है कि मैंने अपने चारों बेटों को दबा कर रखा है, मैंने कभी उनकी इच्छाओं का सम्मान नहीं किया। मेरी नजर में उनकी कोई कीमत नहीं है और मैं उनके प्रति हमेशा कठोर रहा हूं।' 
 
उल्लेखनीय है कि हरिलाल ने भी एक पत्र में गांधीजी को लिखा है,''..... इसलिए मेरी बात सुनने के बजाए आपने अपनी बात रखी और मुझे मानने के लिए मजबूर किया। आपने मुझे मेरी क्षमता का आकलन ही नहीं करने दिया, बल्कि खुद निर्धारण कर दिया।' 
      
पुस्तक में दावा किया गया है कि पिता पुत्र के बीच मतभेद का एक प्रमुख कारण आयु का कम अंतर भी था। हरिलाल के जन्म के समय गांधीजी की उम्र 18 वर्ष थी और यह इच्छाओं और प्रतिबद्धताओं का टकराव भी था। गोपाल कृष्ण गोखले ने गांधीजी और हरिलाल के मतभेदों और दोनों के मनस्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि एक नौजवान अपनी आकांक्षाओं और पिता की उम्मीदों के बीच पिस रहा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Elections 2024 : मेरी इच्छा है नरेंद्र मोदी फिर से मुख्यमंत्री बनें, नीतीश कुमार की फिर फिसली जुबान

Rajasthan weather : राजस्थान में गर्मी का कहर, फलोदी में तापमान 50 डिग्री के पार

Lok Sabha Elections : राहुल गांधी का दावा, प्रधानमंत्री मोदी गिराना चाहते हैं हिमाचल की सरकार

मोदी, शाह और फडणवीस ने गडकरी की हार के लिए काम किया, संजय राउत का दावा

बेबी केयर सेंटर का मालिक नवीन गिरफ्तार, अस्पताल में आग लगने से हुई थी 7 नवजात की मौत

अखिलेश यादव के करीबी मेरठ के एसपी MLA रफीक अंसारी गिरफ्तार

Rajkot Gaming Zone Fire: HC की फटकार के बाद सरकार का एक्शन, राजकोट के कमिश्नर सहित 6 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर

Pune Porsche Accident : पुणे पुलिस का दावा, चिकित्सक के निर्देश पर नाबालिग के रक्त के नमूनों को बदला

क्यों INDIA गठबंधन बैठक में शामिल नहीं होंगी ममता बनर्जी, बताया कारण

आतंकवादियों और पत्थरबाजों के परिवार वालों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी', अमित शाह की सख्त चेतावनी

अगला लेख