dipawali

मकर संक्रांति : तिल के यह 6 प्रयोग देंगे मनचाही खुशियां, जानिए सूर्य के इस विशेष पर्व का महत्व

Webdunia
- नरेन्द्र देवांगन
 
भारतीय सूर्य-संस्कृति में दैनिक सूर्य पूजा का प्रचलन रामायण काल से चला आ रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा नित्य सूर्य पूजा का उल्लेख रामकथा में मिलता है। सूर्यवंशी श्रीराम के पूर्व मार्तण्ड थे।
 
राजा भगीरथ सूर्यवंशी थे, जिन्होंने भगीरथ तप-साधना के परिणामस्वरूप पापनाशिनी गंगा को पृथ्वी पर लाकर अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करवाया था। कपिल मुनि के आश्रम पर जिस दिन मातु गंगे का पदार्पण हुआ था, मकर संक्रांति का दिन था। पावन गंगाजल के स्पर्शमात्र से राजा भगीरथ के पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।
 
राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल-अक्षत-तिल से श्राद्ध-तर्पण किया था। तब से माघ मकर संक्रांति स्नान और मकर संक्रांति श्राद्ध-तर्पण की प्रथा आज तक प्रचलित है। कपिल मुनि ने वरदान देते हुए कहा था, 'मातु गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगाजल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायक फल प्रदान करेगा।'
 
महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। फलतः आज तक पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एवं जल तर्पण की प्रथा मकर संक्रांति के अवसर पर प्रचलित है।
 
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्ममुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल को ही परा-अपरा विद्या की प्राप्ति का काल कहा जाता है। इसे साधना का सिद्धिकाल भी कहा गया है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह-निर्माण, यज्ञ-कर्म आदि पुनीत कर्मकिए जाते हैं। मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व से ही व्रत-उपवास में रहकर योग्य पात्रों को दान देना चाहिए।
 
सहस्रांशु की सहस्र किरणों के पृथक-पृथक प्रभाव हैं। सूर्य की पहली किरण जहां आसुरी सम्पत्तिमूलक भौतिक उन्नति की विधायक है, वहीं सूर्य की सातवीं किरण भारतवर्ष में दैवी सम्पत्तिमूलक आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देने वाली है। सातवीं किरण का प्रभाव भारत वर्ष में गंगा-जमुना के मध्य अधिक समय तक रहता है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हरिद्वार और प्रयाग में माघ मेला अर्थात मकर संक्रांति या पूर्ण कुंभ तथा अर्द्धकुंभ का विशेष उत्सव प्रायोजित हुआ करता है।
 
तत्वदर्शी महर्षियों ने पर्व व व्रत-विज्ञान के सैकड़ों अंश संयुक्त कर दिए हैं। वे इनके गूढ़ गुण गुम्फित लाभप्रद तत्वों को अनुभव जन्म प्रयोगों के द्वारा हृदयंगम कर चुके थे। शास्त्रों में उनके वर्णन करके तथा अपने प्रवचनों के द्वारा अनभिज्ञ व्यक्तियों को वे इन गुणों से परिचित कराया करते थे। उनके स्पष्ट अभिमत हैं कि व्रतों के प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है। संकल्प शक्ति बढ़ती है। ज्ञान तंतु विकसित होते हैं। अंतस्तल में सच्चिदानंद परमात्मा के प्रति श्रद्धा एवं भक्तिभाव का संचार होता है। मकर संक्रांति इसी चेतना को विकसित करने वाला व्रत-पर्व है। यह संपूर्ण भारत वर्ष में किसी न किसी रूप में आयोजित होता है।
 
विष्णु धर्मसूत्र में कहा गया है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए एवं स्व स्वास्थ्यवर्द्धन तथा सर्वकल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग पुण्यदायक एवं फलदायक होते हैं- (1) तिल जल स्नान, (2) तिल दान, (3) तिल भोजन, (4) तिल जल अर्पण, (5) तिल आहुति, (6) तिल उबटन मर्दन।
 
निष्कर्ष यह कि सूर्य-संस्कृति में मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना-उपासना का पावन व्रत है, जो तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Diwali Muhurat 2025: चौघड़िया के अनुसार जानें स्थिर लग्न में दीपावली पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

Bhai dooj 2025: कब है भाई दूज? जानिए पूजा और तिलक का शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja 2025: अन्नकूट और गोवर्धन पूजा कब है, जानिए पूजन के शुभ मुहूर्त

Diwali Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार दिवाली पर कौन सी चीजें घर से निकालें तुरंत?, जानें 6 टिप्स

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (22 अक्टूबर, 2025)

22 October Birthday: आपको 22 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 22 अक्टूबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (21 अक्टूबर, 2025)

21 October Birthday: आपको 21 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

अगला लेख