'उनकी' दिवाली को भी चमकदार बनाइए....

राजश्री दिघे चितले
जब तुम एकाउंट्स के साथ साथ प्लंबिंग की देख रेख करोगे तब दिवाली बोनस दे दिया जायेगा.......अटपटा लगा न....! 
 
मुझे भी लगा.....जब किसी संस्था से हम जुड़े होते हैं तब दी गयी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहें होते हैं। हमारे इस बेहतर काम को या जिम्मेदारी का प्रदर्शन हमें बोनस दिलाता है। पूरे वर्ष के उपरांत या ऐसे दिवाली पर. उस दिवाली के बोनस को ये कहकर रोका जाए कि आपने एक ही डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दी है। कैसा लगेगा आपको ? फिर आप दलीलें देंगे मैंने कितनी कम छुट्टियां ली फिर फलाना फलाना नहीं आया था पर मैंने काम किया। फिर बीमारी में आधा दिन काम किया।  फिर तीन लोग बीमार थे पर मैंने छुट्टी नहीं ली......और न जाने क्या क्या ऐसा जो आपको सही सिद्ध कर दे और बोनस का अधिकारी बना दे। बस ऐसा ही कुछ हमारे घर पर सेवाएं देने वाले लोगों का होता होगा। 
 
आज कुछ संभ्रांत महिलाओं का सम्भाषण सुना जिसमें काम वाली बाइयों का उल्लेख था। किसी ने कहा क्या दो तनख्वाह देनी होंगी? मैंने तो फलां फलां को इतना दिया फिर भी उसने नाखुश होकर मेरा काम छोड़ दिया। ये जब सफाई करेंगी तभी इन्हें बोनस देना चाहिए। हां  पर सफाई के अलग से देने कि कोई आवश्यकता नहीं। अभी तो 6 महीने ही हुए है उसे काम पर रखकर तो काहे कि दिवाली...? 
 
ऐसा और बहुत कुछ सुन कर दिमाग घूम गया। लगा, जो दिया वो गिना दिया तो काहे का दिया। जहां आपकी एक दिवाली हज़ारों लाखों की होती है वहां प्रेम से कोई सैकड़ों का अधिकारी नहीं?
 
 हमारा बच्चा चार नए कपड़ों में इतराएं वहां उनके चार बच्चे एक मिठाई के बक्से को सोचे। पूरा साल काम करके वो अलग से सफाई वाली सेवाएं दे और दिवाली में छुट्टी भी न ले तब कहीं जाकर हम दिवाली मनाएं। तो वो कब मनाएं? वो कब इतराएं वो कब सेल्फी क्वीन कहलाएं। 
केवल हमारी आर्थिक परिस्थिति क्या हमारे आनंद को तय करेगी या आतंरिक परिस्थिति। 
 
 चाणक्य का एक वाक्य कहीं पढ़ा था अगर कोई भूखा चोरी करता है तो लाज देश के नागरिकों को आनी चाहिए। बिल्कुल वैसे ही कोई यदि आपकी मदद से त्यौहार मनाए वो भी हर्षोलास से न की भरे हुए श्वास से तो बात बनती है। दिवाली की सफाई परिवार की जिम्मेदारी है। और हमारे आसपास का हर कोई त्यौहार मनाये वो भी हमारी जिम्मेदारी है। तो कितना दिया से अधिक कैसे दिया, कब दिया से अधिक किस सोच से दिया उस पर विचार हो। सफाई का क्या है आज नहीं तो कल हो जाएगी दिवाली एक साल बाद आएगी। सारी सफाई की मशक्कत लक्ष्मी मां को रोकने की है न......वो किसी के रोके नहीं रूकती वरन उसे फैलना अच्छा लगता है। आपसे होकर यदि वो विस्तृत होने लगे तो वो अधिकाधिक आपके निकट आएगी। वो सबकी मां है उसे हर एक से मिलने का मौका दीजिएगा। घर में धूल यहां वहां रह भी जाये मन को चकाचक बना के रखियेगा। उसकी चमक दिवाली को चमकदार बनाएगी.....सबकी दिवाली को... . तो याद रखें, 'उनकी' दिवाली को भी चमकदार बनाइए.... जो हमारे लिए जरूरी हैं... हमारी सेवाओं के लिए जरूरी हैं, हमारे घर के लिए जरूरी हैं। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

कौन हैं भारतीय नौसेना की दो बहादुर महिला अधिकारी जिन्होंने 8 महीनों में तय किया 50,000 किलोमीटर का समुद्री सफ़र, प्रधानमंत्री ने की सराहना

औरंगजेब के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़े जाने के बाद अहिल्याबाई होलकर ने किया था इसका पुनर्निर्माण, प्रधानमंत्री मोदी ने बताया इतिहास

रानी अहिल्याबाई के पति की मौत कैसे हुई थी?

लोकमाता देवी अहिल्याबाईः सुशासन और महिला स्वावलंबन की प्रणेता

ट्रंप क्यों नहीं चाहते Apple अपने प्रोडक्ट भारत में बनाए?

अगला लेख