मप्र भाजपा के दिग्गजों को यूपी चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार

राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

अरविन्द तिवारी
मंगलवार, 1 मार्च 2022 (13:25 IST)
बात यहां से शुरू करते हैं : वैसे सीधे तौर पर तो उत्तर प्रदेश के चुनाव से मध्यप्रदेश का कोई संबंध नहीं है, लेकिन न जाने क्यों वहां के चुनावी नतीजों का मध्यप्रदेश भाजपा के कई दिग्गजों को बेसब्री से इंतजार है। इन नेताओं का मानना है कि यदि नतीजे अनुकूल नहीं रहे तो फिर मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव के सालभर पहले कोई नया नेता सरकार को नेतृत्व देता नजर आ सकता है। हालांकि बदलाव की आशंका जताने वाले नेता सार्वजनिक तौर पर तो अभी यही कह रहे हैं कि कुछ भी हो थोड़े बहुत अंतर से सरकार तो हमारी ही बनेगी। हकीकत यह है कि वहा के जो मैदानी हालात देखने में आ रहे हैं उसने इन नेताओं की सांसें भी फुला रखी है। 

सीएम और गृहमंत्री के बीच अनबन! : मध्यप्रदेश सरकार के माइक-1 यानी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और माइक-2 यानी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच मामला फिर बिगड़ा हुआ है। भोपाल में मुख्यमंत्री द्वारा पौधारोपण के मौके पर मिश्रा ने जो तेवर दिखाए उससे साफ है कि अभी कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। ऐसा भी हो रहा है कि जिस फोरम पर मुख्यमंत्री मौजूद रहते हैं, वहां गृहमंत्री नजर नहीं आते और जहां गृहमंत्री की मौजूदगी रहती है, वहां मुख्यमंत्री गायब मिलते हैं। पिछले दिनों भोपाल में पार्टी कार्यालय में बड़े नेताओं की एक बैठक में गृहमंत्री डॉयस पर थे और मुख्यमंत्री कहीं नहीं दिखे। इंदौर के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और नरेंद्रसिंह तोमर की मौजूदगी के बावजूद प्रभारी मंत्री की हैसियत रखने वाले गृहमंत्री नजर नहीं आए।

मुरलीधर राव पर उठी उंगलियां : मूलत: संघ के प्रचारक और अब भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरलीधर राव के पास यूं तो संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन उन्हें मध्यप्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। यह माना जाता है कि मध्यप्रदेश भाजपा में जो भी प्रभारी बनता है, उसे या तो प्रदेश के नेता साध लेते हैं या फिर इतना दबाव बना लेते हैं कि सबकुछ उनके मुताबिक होने लगता है। इन दिनों राव की लकदक लाइफ स्टाइल की बड़ी चर्चा है। भोपाल में चार इमली में सर्वसुविधायुक्त बड़ा बंगला, काफिले में बड़ी गाड़ी, पायलट फालो की सुविधा लेने के बाद उन पर उंगली उठने लगी है। कांग्रेसियों के निशाने पर वे हैं ही अब पार्टी के नेता भी चटखारे लेकर उनकी कहानी सुनाने लगे हैं।
 
विभा पटेल की हो सकती है ताजपोशी : जिस दिन अर्चना जायसवाल ने कमलनाथ को भरोसे में लिया बिना प्रदेश पदाधिकारियों और जिला व शहर अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी थी, उसी दिन यह तय हो गया था कि प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अब अर्चना लंबी पारी नहीं खेल पाएंगी, हुआ भी यही। एक समय कमलनाथ की प्रिय पात्र रहीं अर्चना अब वहां बेगानी हो गई हैं। प्रदेश महिला कांग्रेस की नई अध्यक्ष के रूप में भोपाल की पूर्व महापौर और ओबीसी की बड़ी नेता विभा पटेल की ताजपोशी तय मानी जा रही है। कहा तो यह जा रहा है कि न चाहते हुए भी यह पद दिग्विजय सिंह के खाते में चला जाएगा।

निशाने पर प्रजापति : कमलनाथ के दरबार में अच्छी खासी दखल रखने वाले कई दिग्गज नेताओं के बारे में यह मशहूर होता जा रहा है कि वे उपस्थिति तो बहुत दमदारी से लगाते हैं, लेकिन जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाती है उसका ठीक से निर्वहन नहीं कर पाते। सेक्टर और मंडलपम् के मामले उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन जो फीडबैक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक पहुंचा है, उसके बाद उनकी भृकुटि तन गई है। और कोई बड़ी बात नहीं कि जल्दी ही प्रजापति भी उनके निशाने पर आ जाएं।

इंदौर को मिल सकती है तवज्जो : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट कोटे से जजों की नियुक्ति के लिए जल्दी ही नाम दिल्ली पहुंचाए जाना है। इस बार हाल ही में अपर महाधिवक्ता बनाए गए उमेश गजांकुश, विनय सराफ, सुधा श्रीवास्तव और सीमा शर्मा के नाम हाईकोर्ट जज के लिए चर्चा में आ गए हैं। विशाल बाहेती के बारे में कहा जा रहा है कि हर पैमाने पर फिट होने के बावजूद उन्होंने वकालत के पेशे में रहना ही बेहतर समझा है। देखते हैं क्या होता है, क्योंकि पुराना अनुभव यह कहता है कि इंदौर के जो नाम आगे बढ़ते हैं उन्हें बड़ी मशक्कत के बाद तवज्जो मिल पाती है। वैसे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीतेन्द्र माहेश्वरी की मौजूदगी का लाभ मध्य प्रदेश और खासकर इंदौर के वकीलों को मिलना तय है।

टंडन के खाते में DGP का पद : DGP जैसे-जैसे डीजीपी विवेक जौहरी की सेवानिवृत्ति की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे राजीव टंडन के प्रभारी डीजीपी की भूमिका में आने की संभावना प्रबल होती जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने बहुत ही चतुराई भरा दांव खेलते हुए नए डीजीपी के लिए संभावित नामों का पैनल यूपीएससी को नहीं भेजा है और ऐसी स्थिति में अंततः डीजीपी का पद राजीव टंडन के खाते में ही जाता नजर आ रहा है।

चलते चलते : मंत्रालय के आला अफसर यह जानने में लगे हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है की एसीएस जीएडी विनोद कुमार की अपने मातहतों से पटरी क्यों नहीं बैठ रही है एक के बाद एक अच्छे अवसर जीएडी से रवानगी लेते जा रहे हैं।
 
इंदौर के भाजपा नेता मनीष शर्मा ने अपने जन्मदिन के मौके पर अखबारों में दिए गए विज्ञापन में दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और शोभा ओझा के साथी प्रवीण कक्कड़ का फोटो देकर सबको चौंका दिया है। शर्मा समर्पण निधि अभियान के दौरान पिछले दिनों भाजपा नेताओं को जमकर खरी-खोटी सुना चुके हैं।

पुछल्ला : पहले प्रयागराज और फिर बनारस क्षेत्र की विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को ऐन वक्त पर सौंपी गई। उनका ज्यादा समय तो वहां के स्थानीय नेताओं के बीच फंसी गुत्थी को सुलझाने में ही निकल गया।
 

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