Dharma Sangrah

ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी भी हुए ट्रोल

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग
नरेन्द्र मोदी ट्विटर पर हमेशा बेहद शालीन, संयत और मधुर भाषा का इस्तेमाल करते हैं। ट्विटर पर उनका रवैया उदारवादी राजनेता का रहता है। उनके विचार संसद के बजाय ट्विटर पर ज्यादा तेज गति से आते हैं। ट्विटर के सुपरस्टार जो ठहरे! ट्विटर पर प्रधानमंत्री बड़प्पन दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। किसी की पीथ थपथपाना हो, तब भी वे ट्विटर का ही उपयोग करते हैं। 
अपने राजनीतिक विरोधी राहुल गांधी के जन्मदिन पर भी वे उन्हें बधाई देने से पीछे नहीं हटते। एक भाषण में उन्होंने सोशल मीडिया के सहयोगियों से संयत भाषा इस्तेमाल करने की बात कही थी। आम लोगों से अपनी अपील में भी वे बार-बार कहते रहे हैं कि भाषा की गरिमा को कम न होने दिया जाए। इसके बावजूद नरेन्द्र मोदी खुद सोशल मीडिया पर ट्रोल होते रहते हैं, खासकर ट्विटर पर। 
 
पिछले दिनों कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर किसी और के विचार शेयर करते हुए उन्हें ‘आर्ट ऑफ फूलिंग’ का गुरु तो बताया ही, कुछ ऐसी बातें भी शेयर कर डालीं, जो आम लोग शेयर करना नहीं चाहते। ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर, यमराज, सांप, बिच्छू, औरंगजेब, गुंडा, भेड़िया, गंगू तेली, नरभक्षी, नपुंसक, मानसिक विकलांग, भस्मासुर, पागल कुत्ता, मेंढक, गंदा व्यक्ति, रावण, गंदी नाली का कीड़ा, असत्य का सौदागर, मंकी, चूहा, दाऊद इब्राहीम, बदतमीज, नालायक, हिटलर, पोल पोट, जीवाणु, तानाशाह और न जाने क्या-क्या उपमाएं मिल चुकी हैं। 
 
इसके जवाब में नरेन्द्र मोदी के प्रशंसक (जिन्हें विरोधी लोग ‘भक्त’ कहते हैं) भी विरोधियों पर ट्रोल करते रहते हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर ट्रोल करने की यह परंपरा भद्दा और घिनौना रूप ले चुकी है। अंधभक्त और अंधविरोधी खेमे बन चुके हैं और वे भाषा से अनैतिक कृत्य करते जा रहे हैं। 
 
नरेन्द्र मोदी जनवरी 2009 से ट्विटर पर हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी ट्विटर पर उनके लाखों फॉलोअर्स बन चुके थे। करीब 25 साल से वे कम्प्यूटर से जुड़े हैं और करीब 18 साल से इंटरनेट सर्फ कर रहे हैं। सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग और माइक्रोब्लॉगिंग के हर प्लेटफॉर्म पर उनकी उपस्थिति है। यहां तक कि चीन के चीनी भाषा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर भी वे सक्रिय हैं। 
 
कुछ समय पहले सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जवाब दिया था कि प्रधानमंत्री अपने ट्वीट खुद करते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मैं आमतौर पर यात्रा के दौरान सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जाता हूं। 
 
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बात के लिए ट्रोल किया जा रहा है कि वे ट्विटर पर जिन 1779 को फॉलो करते हैं, उनमें से एक व्यक्ति ने अपने ट्वीट में दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश का नाम लिए बगैर 'कुतिया' शब्द का इस्तेमाल किया था। पत्रकारों के संगठनों और वामपंथी विचारधारा वाले ग्रुप्स में इस बात को लेकर काफी गुस्सा है। 
 
प्रधानमंत्री जिन लोगों को ट्विटर पर फॉलो करते हैं, उनमें से किसी एक के गलत ट्वीट के कारण प्रधानमंत्री को कितना दोषी ठहराया जा सकता है, यह चर्चा का विषय है। आपके परिवार में सीमित सदस्य हो सकते हैं और मित्र भी सीमित ही होंगे, लेकिन सोशल मीडिया पर आपके मित्रों, प्रशंसकों और फॉलोअर्स की संख्या कितनी भी हो सकती है। ऐसे में दूसरे लोगों की बात को प्रधानमंत्री के मुंह से निकली बात कहना उचित नहीं कहा जा सकता। 
 
ट्विटर पर किसी को फॉलो करने का अर्थ यह नहीं है कि आप वास्तविक जीवन में उसके अनुयायी हैं। इस वर्चुअल दुनिया में आप विभिन्न-विभिन्न कारणों से अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को मित्र बनाते हैं। ट्विटर इन मित्रों को फॉलोअर्स कह सकता है। ट्विटर पर आप जिनको फॉलो करते हैं, वे कोई आपके लिए देवता नहीं होते। शायद ही ट्विटर पर कही गई बात को दूसरे लोग बिना सोचे मान लेते हो। 
 
आप ट्विटर पर किसी को भी फॉलो क्यों करते हैं? इसके कई जवाब हो सकते हैं। हो सकता है कि आप अपना अकेलापन दूर करना चाहते हो और लोगों के विचार पढ़ना चाहते हो। यह भी हो सकता है कि आप सूचनाओं के लिए ट्विटर पर हों। संभव है आप अपनी नेटवर्किंग ट्विटर के माध्यम से कर रहे हो। 
 
अगर आप किसी बड़े पद पर हो, तो आप ट्विटर का उपयोग फीडबैक के रूप में कर सकते हैं। बड़ी कंपनियों के अधिकारी ग्राहकों के फीडबैक जानने के लिए ट्विटर का उपयोग करते हैं और फिल्म तथा खेल से जुड़ीं हस्तियां अपनी प्रतिभा के चाहने वालों से जुड़ने के लिए ट्विटर पर आती हैं। ऐसे लोग भी हैं, जो येन-केन-प्रकारेण पैसे कमाने के लिए ट्विटर पर आते हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होगी, क्योंकि ट्विटर के माध्यम से पैसे कमाना आसान नहीं। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ट्विटर पर 3 करोड़ 38 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं, जो भारत में सबसे अधिक हैं। वे जिन 1,779 लोगों को फॉलो करते हैं, उनके बारे में जानना दिलचस्प है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी विश्व के लगभग सभी प्रमुख शीर्ष नेताओं से ट्विटर पर जुड़े हुए हैं। 
 
दुनिया के विभिन्न देशों में भारत के राजदूत, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता, आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारी, मशहूर खिलाड़ी, फिल्मी कलाकार, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, साहित्यकार, मीडिया संस्थान, पत्रकार आदि को वे फॉलो करते हैं। हमारे राष्ट्रपति ट्विटर पर केवल एक शख्स को फॉलो करते हैं और वे हैं, उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी। कई देशों के राष्ट्रपति ट्विटर पर किसी को फॉलो नहीं करते। 
 
विश्व के प्रमुख नेताओं में शामिल होने के बाद भी नरेन्द्र मोदी उदारतापूर्वक ट्विटर पर लोगों को फॉलो करते हैं। नरेन्द्र मोदी के निजी ट्विटर अकाउंट के अलावा पीएमओ इंडिया का अलग ट्विटर अकाउंट है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय संचालित करता है। प्रधानमंत्री कार्यालय इतने लोगों को फॉलो नहीं करता। इनके अलावा नमो इंडिया, नमो गाथा, नरेन्द्र मोदी फैंस, माय पीएम नमो, बीजेपी मिशन, नरेन्द्र मोदी आर्मी, नमो इंडिया पीएम जैसे अनेक ट्विटर अकाउंट भी हैं जिनका व्यक्तिगत रूप से नरेन्द्र मोदी से कोई लेना-देना नहीं है। 
 
नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत रूप से अपने ट्विटर अकाउंट पर जिन लोगों को फॉलो करते हैं, उनमें कई लोग ऐसे हैं, जो बहुत प्रसिद्ध नहीं हैं। सोशल मीडिया एक्सपर्ट डॉ. अमित नागपाल का कहना है कि नरेन्द्र मोदी ट्विटर पर समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधि को फॉलो करते हैं। इनमें से कई लोग तो ऐसे हैं जिनकी हस्ती प्रधानमंत्री के सामने मामूली है, जैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की ओएसडी निधि कामदार या शायना एनसी, मोटिवेशनल स्पीकर भक्ति शर्मा, लेखिका अवंतिका काला आदि को भी वे फॉलो करते हैं। 
 
रेडिफ, बीबीसी, न्यूज लांड्री जैसी वेबसाइट्स को भी वे फॉलो करते हैं, जो सरकार पर हमेशा तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करती हैं। हिन्दी के दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स के ट्विटर अकाउंट भी वे देखते हैं। संजय पुगलिया, मधु त्रेहन, राहुल कंवल, यशवंत देशमुख, संजय नारायण जैसे पत्रकारों के अकाउंट भी वे फॉलो करते हैं। 
 
शायद इतनी विविध किस्म के अकाउंट फॉलो करने का उनका लक्ष्य समाज में चल रही हलचल की नब्ज टटोलना हो। ऐसे में अगर इनमें से कोई आपत्तिजनक ट्वीट करें, तब उसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं लगता। यह वैसा ही है, जैसे आप किसी चौराहे से गुजर रहे हो और वहां कोई व्यक्ति अगर गाली देता मिले तो आप कहें कि यह गलती तो आप ही की है, जो आप उस चौराहे से गुजर रहे हैं। 

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