उत्तराखंड के माणा में बर्फ में दबे 33 मजदूरों को बचाया गया, CM धामी ने देर रात बैठक की

माणा और बदरीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर करीब सवा 7 बजे हिमस्खलन हुआ था

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025 (23:17 IST)
Avalanche in Mana Uttarakhand : उत्तराखंड के उंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच चमोली जिले के बदरीनाथ में सीमांत माणा गांव के पास शुक्रवार तड़के हिमस्खलन होने से वहां फंसे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 मजदूरों में से 33 को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि 22 अन्य की तलाश जारी है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बदरीनाथ धाम से छह किलोमीटर आगे हुई हिमस्खलन की घटना में पहले 57 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली थी लेकिन अब स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि दो मजदूरों के छुट्टी पर होने के कारण मौके पर 55 मजदूर थे।
 
प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, शाम पांच बजे तक बदरीनाथ धाम से छह किलोमीटर आगे हिमस्खलन में फंसे 33 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि शेष बचे लोगों को निकालने की कार्रवाई चल रही है। माणा और बदरीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर करीब सवा 7 बजे हिमस्खलन हुआ था, जिससे मजदूर बर्फ में दब गए थे।
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देखिए जरा, आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे। चमोली में एवलांच के बाद बर्फ में दबे श्रमिकों को बचाने के लिए कैसे राहत बचाव कार्य कर रहे है भारतीय सैनिक। #chamoli #UttarakhandAvalanche #Uttarakhand pic.twitter.com/QAoWrxQYG7

— Ajit Singh Rathi (@AjitSinghRathi) February 28, 2025 >
सीमा का आखिरी गांव है माणा : घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा बचाव और राहत कार्य शुरू किया। खराब मौसम और लगातार बर्फवारी के कारण मौके पर बचाव एवं राहत कार्य चलाने में मुश्किलें आ रही हैं। हांलांकि, घटना में अभी किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत-तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है, जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
 
इस बार कैंप बंद नहीं हुआ : हादसा स्थल हिमस्खलन की दृष्टि से शीतकाल में खतरनाक माना जाता रहा है। इसलिए पूर्व में इस कैंप से लोगों को हटाकर बदरीनाथ में रखा जाता था। माणा के गांव प्रधान पिताम्बर सिंह ने बताया कि इस बार बर्फ नहीं गिरने से कैंप बंद नहीं किया गया था और आज मजदूर हादसे की चपेट में आ गए। बदरीनाथ, नर और नारायण पर्वत की तलहटी पर बसा है, जिसके बीचोंबीच अलकनंदा नदी प्रवाहित होती है। हादसा नर पर्वत से आए हिमस्खलन के कारण हुआ। 
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देर रात राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर अधिकारियों के साथ बैठक की और माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन में फंसे श्रमिकों के राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। अधिकारियों को रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने और अब तक निकाले गए श्रमिकों की समुचित देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश… pic.twitter.com/qc5qSpYzTJ

— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 28, 2025 >
क्या कहा धामी ने : मुख्‍यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक पोस्ट में कहा कि प्रदेश में जारी भारी वर्षा एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रहे हिमपात को देखते हुए आपदा परिचालन केंद्र को सभी जिलाधिकारियों से लगातार समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। राहत एवं बचाव कार्यों में कोई भी कमी नहीं आने दी जाएगी। हम सभी से अपील करते हैं कि सावधानी बरतें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें, आप सभी सुरक्षित रहें, यही हमारी प्राथमिकता है। 
एक अन्य पोस्ट में धामी ने कहा कि देर रात राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर अधिकारियों के साथ बैठक की और माणा गांव के पास हुए हिमस्खलन में फंसे श्रमिकों के राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। अधिकारियों को रेस्क्यू अभियान में तेजी लाने और अब तक निकाले गए श्रमिकों की समुचित देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। अभी तक 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
 
इसके साथ ही जोशीमठ में अस्थाई आपदा कंट्रोल रूम की स्थापना का निर्णय लिया गया है ताकि राहत कार्यों का प्रभावी संचालन हो सके। माणा स्थित हेलीपैड को प्राथमिकता से खोलने के निर्देश दिए गए हैं जिससे बचाव कार्यों में और तेजी लाई जा सके। जोशीमठ स्थित आर्मी अस्पताल, जिला अस्पताल, एम्स ऋषिकेश में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं इसके अतिरिक्त एम-आई 17 हेलीकॉप्टर की सहायता से घायलों को त्वरित लिफ्ट करने की पूरी तैयारी करने के लिए भी निर्देशित किया है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 
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