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10 राज्य, 36 नदियां, 391 स्थान, राम वन गमन पथ पर 8900 किमी की रोमांचक यात्रा

मध्य प्रदेश के आचार्य दिलीप एवं स्वाति कर्पे की अयोध्या से धनुषकोडी, तमिलनाडु तक की यात्रा

संदीप श्रीवास्तव
शनिवार, 22 नवंबर 2025 (15:41 IST)
Ram Van Gaman Path Journey: मध्य प्रदेश के खरगोन निवासी आचार्य दिलीप कर्पे व उनकी पत्नी स्वाति ने अयोध्या के सरयू तट से समुद्र (धनुषकोडी, तमिलनाडु) तक की श्रीराम के वन गमन पथ की यात्रा पूर्ण की। उन्होंने सरयू तट से 3 मार्च 2025 को अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। इस दौरान भारत के 10 राज्यों के 391 स्थानों, 36 नदियों, 10 पर्वत श्रृंखलाएं, 5 वन क्षेत्र और 18 आश्रमों होती हुई 46 दिनों में संपन्न हुई। 
 
कर्पे दंपति की यात्रा लगभग 8 हजार 900 किलोमीटर की थी। हालांकि इन्होंने कुल मिलाकर 12 हजार 300 किलोमीटर की दूरी तय की। इनकी यात्रा के दौरान ही 25000 से अधिक मानस यात्री भी जुड़े, जिसमें भारत के 19 प्रांतों एवं पांच देशों के यात्री भी शामिल हुए। कर्पे दंपति ने यात्रा के दौरान मंदिरों, आश्रमों, देवस्थानों व मठों के दर्शन भी किए। इनमें पांच ज्योतिर्लिंग, दो धाम (अयोध्या व रामेश्वरम धाम), सात श्रीदत्त क्षेत्र, पांच शक्तिपीठ, दो शनि पीठ, 12 जन्मस्थली व छह समाधि के भी दर्शन किए। उन्होंने अपनी यात्रा पर एक पुस्तक 'सरयू से समंदर तक' भी लिखी, जिसका विमोचन अयोध्या में ही हुआ। 
नए स्थल भी चिन्हित किए : आचार्य दिलीप कर्पे ने यात्रा के समापन के दौरान वेबदुनिया से खास बातचीत की। उन्होंने अपनी इस यात्रा के बारे मे विस्तार से बताते हुए कहा कि हम सभी बड़े ही भाग्यशाली हैं कि हमें मौका मिला और शक्ति मिली कि जिस पथ से श्रीराम वन को गए थे, उस पथ की यात्रा कर उनकी चरण धूलि को अपने माथे पर लगाया। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान हमने ऐसे स्थल भी चिन्हित किए जो जो श्रीराम पथ गमन में नहीं थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की रामायण सर्किट योजना जिसके चेयरमैन डॉ. रामअवतार को जब हमने बताया कि कुछ स्थल ऐसे हैं, जो अछूते हैं तो वे स्वयं आए और उन्होंने सत्यापन किया। इनमें मध्यप्रदेश के पांच व तीन स्थल महाराष्ट्र के हैं। अब जो राम वन गमन पथ बनेगा उसमे ये सभी स्थल भी शामिल होंगे। 
 
हनुमान जी हमारे साथ हैं : उनकी सहधर्मिणी स्वाति कर्पे ने यात्रा के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि हमारी पूरी यात्रा बहुत अच्छी रही। हमें किसी परेशानी का अहसास नहीं हुआ। हमें लग रहा था कि हनुमान जी हमारे साथ हैं। हालांकि जब रामजी इस पथ से गए होंगे तो बहुत ही कठिन पथ रहा होगा, अब तो काफी सुविधाएं हैं। उन्होंने बताया कि श्रीराम जी जहां-जहां भी गए वे बिना किसी कारण के नहीं गए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की शुरुआत ही इसी से हुई थी और हर जगह पर श्रीराम के आदर्श की पूजा होती है।
 
जन-जन के राम मन-मन तक पहुंचेंगे : आचार्य कर्पे ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जो रामायण सर्किट का निर्माण किया जा रहा है, उम्मीद है कि इन सारे स्थलों को जोड़ते हुए उन स्थलों पर स्तंभ लगाए जाएंगे साथ ही श्रीराम से संबंधित प्रसंगों का उल्लेख किया जाएगा। कर्पे ने कहा कि आगामी समय में राम वन गमन पथ नर्मदा परिक्रमा की तरह ही प्रसिद्ध हो जाएगा और जन-जन के राम लोगों के मन-मन तक पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि जहां-जहां श्रीराम के चरण पड़े उस क्षेत्र में एक अद्भुत चेतना है। पूरा रास्ता कब पूर्ण हो गया, हमें पता ही नहीं चला। 
पुस्तक का विमोचन : दिलीप कर्पे ने अपनी इस यात्रा से प्रेरित होकर एक पुस्तक लिखी है 'सरयू से समंदर तक' जिसके बारे में उन्होंने बताया कि हमारी इच्छा थी कि लोगों तक सारी बाते पहुंचें। रामजी का दर्शन लोगों तक पहुंचे। लोगों के जीवन में रामत्व भी आए। इस पुस्तक का  विमोचन अयोध्या में साधु-संतों की उपस्थिति में हुआ। बाद में कर्पे दंपत्ति अयोध्या से जनकपुर (नेपाल) की यात्रा पर निकल गए। उन्होंने बताया क़ी श्रीराम जी की बरात जिन मार्गों से होते हुए जनकपुर पहुंची थी, हम उन रास्तों से होते जनकपुर पहुंचेंगे। यह यात्रा हमारी 600 किलोमीटर की है, जो 15 दिनों में पूरी होगी। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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