भारत में निर्मित जेनेरिक दवाओं से दुष्प्रभाव की घटनाएं ज्यादा

एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अमेरिका की तुलना में भारत में जेनेरिक दवाओं से दुष्प्रभाव की घटनाएं 54 फीसदी ज्यादा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025 (19:50 IST)
Side effects of generic drugs: एक नए अध्ययन में पाया गया है कि अमेरिका में बनी जेनेरिक दवाओं की तुलना में भारत में बनी समान जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल के कारण अस्पताल में भर्ती होने, दिव्यांगता और मृत्यु सहित अन्य गंभीर दुष्प्रभाव की घटनाएं 54 प्रतिशत अधिक होती हैं। ये निष्कर्ष मुख्य रूप से ‘परिपक्व जेनेरिक दवाओं’ या उन दवाओं से जुड़े थे जो लंबे समय से बाजार में थीं।
 
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के फिशर कॉलेज ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर और सह-लेखक जॉन ग्रे ने कहा कि जेनेरिक दवाओं का निर्माण कहां किया जाता है, इससे महत्वपूर्ण अंतर आ सकता है। जेनेरिक दवा एक ऐसी दवा है जिसे पहले से ही बाजार में मौजूद ब्रांड-नाम वाली दवा के समान रसायन से बनाया जाता है, जिसमें समान खुराक, सुरक्षा और प्रभावशीलता होती है।
 
पेटेंट खत्म होने के बाद मिलती है अनुमति : मूल ब्रांड के पेटेंट समाप्त होने के बाद दवा को बेचने की अनुमति दी जाती है। ग्रे ने कहा कि जर्नल ‘प्रोडक्शन एंड ऑपरेशंस मैनेजमेंट’ में प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि सभी जेनेरिक दवाएं समान नहीं होती हैं, भले ही मरीजों को अक्सर बताया जाता है कि वे समान हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं और अमेरिका जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के बीच दवा निर्माण विनियमन और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रक्रियाएं अलग-अलग हैं।
 
शोधकर्ताओं ने अमेरिका और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बनी 2443 जेनेरिक दवाओं का अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की लगभग 93 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं भारत में बनती हैं। टीम ने भारत में बनी जेनेरिक दवाओं से संबंधित सामने आईं दुष्प्रभाव की घटनाओं की आवृत्ति की तुलना अमेरिका में बनी समान जेनेरिक दवाओं से जुड़े दुष्प्रभाव की घटनाओं से की।
 
दवा की गुणवत्ता से समझौता : अनुसंधानकर्ताओं ने लिखा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बनी जेनेरिक दवाओं के लिए गंभीर दुष्प्रभाव की घटनाओं की अनुमानित संख्या उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में बनी समकक्ष जेनेरिक दवाओं की गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की संख्या से 54.3 प्रतिशत अधिक है। ग्रे ने कहा कि फार्मास्युटिकल उद्योग में, पुरानी दवाएं सस्ती होती जा रही हैं और लागत कम रखने के लिए प्रतिस्पर्धा अधिक तीव्र होती जा रही है। इसके परिणामस्वरूप परिचालन और आपूर्ति शृंखला संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जो दवा की गुणवत्ता से समझौता कर सकती हैं। अध्ययन के लेखकों ने कहा कि ये परिणाम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जेनेरिक दवाओं के बड़े नमूने को उस वास्तविक संयंत्र से जोड़ने वाला पहला अध्ययन है जहां उनका निर्माण किया गया था। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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