पहलगाम आतंकी हमले की FATF ने की कड़ी निंदा, जल्‍द जारी करेगा आतंकी फंडिंग पर रिपोर्ट

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 16 जून 2025 (23:12 IST)
Pahalgam terror attack case : वैश्विक निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने अप्रैल में पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए सोमवार को कहा कि उसने आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाए गए कदमों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसके साथ ही एफएटीएफ ने कहा कि वह जल्द राज्य प्रायोजित आतंकवाद सहित आतंकवादी वित्तपोषण मामलों पर एक रिपोर्ट जारी करेगा। पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल ने एक बयान में कहा, आतंकवादी दुनियाभर में लोगों की जान लेते और भय पैदा करते हैं।
 
सूत्रों ने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल द्वारा की गई निंदा से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हमले की गंभीरता को महसूस किया है और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस तरह के हमलों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आतंकी हमला पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा किया गया था। पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी।
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वित्तीय कार्रवाई कार्यबल ने एक बयान में कहा, आतंकवादी दुनियाभर में लोगों की जान लेते और भय पैदा करते हैं। एफएटीएफ ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसकी निंदा की है। यह और हाल में हुए अन्य हमले, बिना पैसे और आतंकवादी समर्थकों के बीच धन के हस्तांतरण के बिना नहीं हो सकते हैं।
 
सूत्रों ने कहा कि एफएटीएफ शायद ही कभी आतंकवादी कृत्यों की निंदा करता है। पिछले एक दशक में यह तीसरी बार है जब उन्होंने किसी आतंकवादी हमले की निंदा की है। इससे पहले एफएटीएफ ने 2015 में और फिर 2019 में आतंकवादी हमलों के गंभीर मामलों में निंदा जारी की थी।
 
भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन दिए जाने और हथियारों की खरीद के लिए धन मुहैया कराने की बात को उजागर किया है। एफएटीएफ का यह बयान उसकी पृष्ठभूमि में आया है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा की गई ऐसी कार्रवाई के लिए देश को एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में डाल दिया जाना चाहिए।
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भारत ने लगातार कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को पनाह दी है और यह बात तब भी स्पष्ट हुई, जब सात मई को भारतीय सैन्य हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे। एएफएटीएफ के एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) की 25 अगस्त को होने वाली बैठक और 20 अक्टूबर को समूह की अगली पूर्ण बैठक और कार्य समूह की बैठक से पहले, भारत धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण विरोधी एफएटीएफ मानदंडों के संबंध में पाकिस्तान द्वारा की गई चूक पर एक दस्तावेज (डोजियर) तैयार कर रहा है।
 
पाकिस्तान को संदिग्ध सूची में डालने के लिए भारत एफएटीएफ को आवेदन देगा। वर्तमान में एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में 24 देश हैं। इन देशों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। एफएटीएफ वैश्विक धन शोधन एवं आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखने वाला संगठन है और इन अवैध गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है।
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एफएटीएफ ने यह भी कहा कि वह जल्द अपने 200 अधिकार क्षेत्रों वाले वैश्विक नेटवर्क द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों को संकलित करते हुए आतंकवादी वित्तपोषण का व्यापक विश्लेषण जारी करेगा। सूत्रों ने कहा कि यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को जोखिमों को समझने और उभरते खतरों के प्रति सतर्क रहने में मदद करने के लिए एक वेबिनार भी आयोजित करेगा।
 
सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों पर रिपोर्ट एक महीने के भीतर जारी की जाएगी। यह पहली बार है जब राज्य प्रायोजित आतंकवाद की अवधारणा को एफएटीएफ द्वारा वित्तपोषण स्रोत के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि केवल भारत का राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन (एनआरए) पाकिस्तान से राज्य प्रायोजित आतंकवाद को एक प्रमुख आतंकवाद वित्तपोषण जोखिम के रूप में मान्यता देता है। रिपोर्ट में एक अवधारणा के रूप में ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ को शामिल करना पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद की अंतरराष्ट्रीय मान्यता को दर्शाता है।
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एफएटीएफ की संदिग्ध सूची में पाकिस्तान का इतिहास फरवरी 2008 से शुरू होता है, जब इसे निगरानी सूची में रखा गया था। जून 2010 में उसे सूची से हटा दिया गया, लेकिन फरवरी 2012 में उसे वापस शामिल किया गया और फिर फरवरी 2015 में हटा दिया गया।
 
जून 2018 में उसे तीसरी बार फिर सूची में शामिल किया गया और बाद में अक्टूबर 2022 में हटा दिया गया। एफएटीएफ धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था है और ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करती है।
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एफएटीएफ अध्यक्ष एलिसा डी आंदा माद्राजो ने हाल में जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर कॉन्फ्रेंस’ में कहा था, कोई भी कंपनी, प्राधिकरण या देश अकेले इस चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकता। हमें वैश्विक आतंकवाद के संकट के खिलाफ एकजुट होना चाहिए क्योंकि आतंकवादियों को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल एक बार सफल होने की जरूरत होती है, जबकि हमें इसे रोकने के लिए हर बार सफल होना होगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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