राजीव गांधी की 10 अनसुनी बातें, क्यों नहीं आना चाहते थे राजनीति में

Webdunia
शनिवार, 11 मई 2019 (10:15 IST)
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी राजनीति में नहीं आना चाहते थे। 1981 में इंदिरा गांधी की मदद के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पहले ही चुनाव में भारी बहुमत जीते और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री भी बने। वह भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री भी थे। आइए जानते हैं कि राजीव गांधी के बारे में 10 अनसुनी बातें... 
- राजीव गांधी बचपन में बहुत ही संकोची स्वभाव के थे। जब वे दून स्कूल में पढ़ रहे थे, तब उनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू पहली बार उनसे मिलने स्कूल पहुंचे तो राजीव बाथरूम की बास्केट में छिप गए थे।
- राजीव गांधी को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय और आधुनिक संगीत पसंद था, उन्हें रेडियो सुनने तथा फोटोग्राफी का भी शौक था। 
- राजीव गांधी 1966 में ब्रिटेन से प्रोफेशनल पायलट बनकर लौंटे। वे एक एयरलाइन में पाइलट की नौकरी करते थे और उस समय वे दिल्ली-जयपुर-आगरा रूट पर विमान उड़ाते थे।
- जब राजीव कैम्ब्रिज में पढ़ने गए थे तब उनकी मुलाकात इटली की एन्टोनिया माईनो से हुई थी। 1968 में राजीव गांधी ने एन्टोनिया से शादी कर ली। शादी के बाद उनका नाम सोनिया रखा गया। राजीव और सोनिया के दो बच्चे हैं। बेटे राहुल का जन्म 1970 और बेटी प्रियंका का जन्म 1971 में हुआ।
- राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन बहुत अच्छे दोस्त थे। राजीव ने अमिताभ को एक जिंस भी भेंट की थी। यह उनकी जिंदगी की पहली जींस थी, जिसे उन्होंने वर्षों तक पहना था।
- 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद इंदिरा को सहयोग देने के लिए राजीव ने राजनीति में प्रवेश लिया। 1981 में उत्तरप्रदेश की अमेठी सीठ से सांसद बने। मां इंदिरा की हत्या के बाद उसी दिन उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
- प्रधानमंत्री होते हुए भी राजीव गांधी को यह कतई पसंद नहीं था कि जहां वे जाएं, उनके पीछे-पीछे उनके सुरक्षाकर्मी भी पहुंचें। राजीव गांधी अपनी जीप खुद ड्राइव करना पसंद करते थे।
- पहले चुनाव में वोट डालने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष थी लेकिन राजीव गांधी के राज में ही 18 वर्ष तक के युवाओं को चुनाव में वोट देने का अधिकार मिला।
- भारत में कम्प्यूटर क्रांति लाने वाले राजीव गांधी नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य थे।
- राजीव गांधी को कई नई पहलों और शुरुआत का जनक माना जाता है जिसके अंतर्गत संचार क्रांति, कम्प्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। उन्होंने कई साहसिक कदम भी उठाए थे जिनमें असम समझौता, पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता, श्रीलंका में शांति सेना का भेजा जाना आदि शामिल हैं।
 
उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी साल 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान श्रीपेरंबदुर में लिट्टे के आत्मघाती हमले का शिकार हुए थे। धानु नाम की महिला हमलावर ने राजीव गांधी के पैर छूने के बाद खुद को बम से उड़ा लिया था। इस हमले में राजीव गांधी के अलावा 14 और लोगों की जान चली गई थी। 21 मई, राजीव गांधी बलिदान दिवस को आतंकवाद वि‍‍रोधी दि‍वस के रूप में भी मनाया जाता है।

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