नई दिल्ली। भारत में 2020 में जलवायु संबंधी आपदाओं और संघर्षों की वजह से 39 लाख लोग विस्थापित हुए और यह इतनी बड़ी संख्या में पलायन के लिहाज से दुनिया का चौथा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया। शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट द्वारा जारी भारत के पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट 2021 के अनुसार चीन, फिलीपीन और बांग्लादेश में पिछले साल सर्वाधिक पलायन हुआ जहां प्रत्येक देश में 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए।
रिपोर्ट के अनुसार 2020 में दुनियाभर में आंतरिक विस्थापन के 76 प्रतिशत मामले जलवायु संबंधी विपदाओं की वजह से सामने आए। इसके मुताबिक दुनिया में पिछले साल 4.05 करोड़ लोग विस्थापित हुए जिनमें से 3.07 करोड़ लोग जलवायु संबंधी आपदाओं की वजह से तथा 98 लाख लोग हिंसा और संघर्षों के कारण विस्थापित हुए।
रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2020 में जलवायु संबंधी आपदाओं, संघर्षों तथा हिंसा की वजह से 39 लाख लोग विस्थापित हुए। इसमें कहा गया है कि पलायन की सर्वाधिक घटनाएं जम्मू कश्मीर में हिमस्खलन और भूस्खलन, तमिलनाडु में बाढ़, उत्तराखंड में बादल फटने, पुडुचेरी में चक्रवाती तूफान निवार और केरल एवं तमिलनाडु में तूफान बुरेवी जैसी बड़ी जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण घटीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 से 2020 के बीच एक साल में औसत करीब 37.3 लाख लोग विस्थापित हुए जिनमें पलायन के अधिकांश मामले मानसून में बाढ़ आने की वजह से सामने आए। इसमें कहा गया है, भारत में भूकंप, सुनामी, चक्रवाती तूफान और सूखा जैसी अन्य आपदा आने का भी खतरा रहता है।
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारत में हर साल भूकंप, सुनामी, बाढ़, चक्रवाती तूफान आदि की वजह से आंतरिक तौर पर 23 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है।(भाषा)